Sanitation
‘स्वच्छता, स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है‘
Posted on 05 Dec, 2014 06:32 PMआर. गोपालाकृष्णन
पिछले वर्षों में स्वच्छता के विचार ने अनेक चुनौतियां पेश की हैं। प्रबंधन प्रायः आविष्कार को रचनात्मकता के संकीर्ण नजर, उत्पाद्-विकास और तकनीक से देखते रहे हैं। सफल अविष्कार कहीं अधिक सर्वांगीण हैं और इसके प्रयोग, बिजनेस मॉडल समाजशास्त्र और अमल में लाने के अतिरिक्त आयाम हैं।
मैला ढोने से जुड़ी महिलाएं नई राह पर
Posted on 05 Dec, 2014 06:32 PMकभी सिर पर मैला ढोने का काम करनेवाली और समाज में अछूत समझी जानेवाली पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं के एक समूह के लिए शनिवार को उस वक्त अकल्पनीय क्षण आया, जब उन्होंने राजधानी के ऐतिहासिक गांधी स्मृति में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पोती के साथ खाना खाया। महात्मा गांधी जी की पोती तारा भट्टाचार्य के साथ भोजन करने के समय हाथ से शुष्क शौचालय साफ करने और मल को सिर पर ढोकर अन्यत्र पहुंचाने के पुश्तैनी
खुले में शौच से मुक्ति पर ढीलाढाला रवैया क्यों
Posted on 05 Dec, 2014 06:32 PMगौरव चंद्रा एवं मदन झा
‘उपग्रह ही नहीं, शौचालय भी चाहिए’
Posted on 05 Dec, 2014 06:31 PM‘उपग्रह ही नहीं, शौचालय भी चाहिए।’ यह कथन है- भारत सरकार के पूर्व माननीय ग्रामीण विकास, पेय जल एवं स्वच्छता-मंत्री श्री जयराम रमेश का। श्री रमेश ने 7 मार्च, 2012 को अपने सुलभ-भ्रमण के अवसर पर उपस्थित सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं थी। श्री रमेश उक्त तारीख को प्रातः 9 बजे सुलभ-परिसर में पधारे। उनसे पूर्व उनके विभाग की माननीया सचिव सुश्री विलासिनी रामचंद्रन एवं माननीय संयुक्त सचिव (स्वच्छत
‘खुले में शौच करने की प्रथा को ओडिशा खत्म कर सकता है ’
Posted on 05 Dec, 2014 06:31 PMडाॅ. रूपक राय चैधरी