विद्यालयीय शौचालय- परियोजना में ओ.एन.जी.सी. तथा सुलभ की सहभागिता

सुलभ ब्यूरो

 

आॅयल एण्ड नैचुरल गैस काॅर्पोरेशन आॅफ इण्डिया (ओ.एन्.जी.सी.) तथा सुलभ इंटरनेशनल ने ‘स्वच्छ विद्यालय’ अभियान में सहभागिता दर्ज करते हुए असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, गोवा, बिहार और गुजरात के 1,552 विद्यालयों में संयुक्त रूप से शौचालय निर्माण तथा स्वच्छता सुविधाएँ मुहैया कराने की पहल की है। नई दिल्ली में 13 जनवरी, 2015 को प्रवर्तन निदेशालय प्रमुख सी.एस.आर. श्री आलोक मिश्र और सुलभ के अध्यक्ष श्री एस.पी. सिंह ने समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिनके अनुसार, ‘जब तक शौचालय परिसरों तथा नलकूपों की सही संख्या ज्ञात नहीं हो जाती, तब तक संविदा मूल्य अस्थायी है।’

 

एल.आइ.सी. कार्यालय में आयोजित इस विशेष समारोह में उपस्थित अन्य विशिष्ट व्यक्तियों में प्रमुख थे- श्री अजय कुमार, जी.जी.एम. (सिविल)- हेड वर्कस, डॉ. अलका मित्तल, महाप्रबंधक- प्रमुख, सी.एस.आर. श्री ए.एम. शर्मा, महाप्रबंधक (सिविल), श्री सी. वेंकट सुब्रमण्यन तथा ओ.एन.जी.सी. से मुख्य प्रबंधक (एफ.एण्ड ए.)। सुलभ की ओर से उपस्थित सदस्य थे- दिल्ली-एन.सी.आर. और हरियाणा के समन्वयक श्री राकेश चन्द्रा, सी.एस.आर.- प्रमुख श्रीमती शालिनी चतुर्वेदी, उपाध्यक्ष श्री शिशिर चतुर्वेदी, श्री कुमार प्रशांत तथा श्री सईद शदब इमाम।

 

इस अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आॅर्गनाइजेशन के अध्यक्ष श्री एस.पी. सिंह ने कहा, सुलभ एक नैतिक उद्यम है। हम पिछले 45 वर्षों से भारत के 26 राज्यों तथा विश्व के 15 राष्ट्रों में सामाजिक कार्य, विशेषतः स्वच्छता के प्रति समर्पित हैं। हमारा रिकार्ड बेदाग एवं त्रुटि रहित है। हम अपने दीर्घकालीन कार्यों के लिए पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।

 

सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए श्री आलोक मिश्र ने कहा कि ओ.एन.जी.सी. की योजना है कि प्रधानमन्त्री की स्वच्छता-परियोजना में हाथ बटाएँ और अपने सामाजिक उत्तरदायित्व के निर्वहन में प्रमुख भूमिका निभाएँ। कई कम्पनियाँ और संगठन भी इस महत्त्वपूर्ण कार्य में सम्मिलित होंगे, क्योंकि यह परियोजना अनेक राज्यों में क्रियान्वित हो रही है।

 

श्री मिश्र ने कहा, हमने यह परियोजना प्रसिद्ध गैर-सरकारी संगठन सुलभ इंटरनेशनल को दी है। हमने इस अनुबंध को सुधारात्मक रखा है, ताकि भविष्य में अपेक्षित स्थितियों पर अमल किया जा सके। स्वच्छता आधारित परियोजना तैयार करना और विशाल स्तर पर कारखाने का निर्माण दोनों अलग-अलग चीजें हैं। कारखाना निर्माण में सभी बोल्ट और नट की गिनती की जा सकती है, किन्तु स्वच्छता परियोजनाओं में मानव चरित्र, सांस्कृतिक रिवाज और सामाजिक स्वीकार्यता का समावेश होता है, जिसे संख्या में नहीं दर्शाया जा सकता और इसकी लागत भी नहीं आँकी जा सकती। उन्होंने कहा कि ‘शौचालय निर्माण में उच्च मानकों का ध्यान रखेंगे।’

 

इस अवसर पर सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आॅर्गनाइजेशन के अध्यक्ष श्री एस.पी. सिंह ने कहा, सुलभ एक नैतिक उद्यम है। हम पिछले 45 वर्षों से भारत के 26 राज्यों तथा विश्व के 15 राष्ट्रों में सामाजिक कार्य, विशेषतः स्वच्छता के प्रति समर्पित हैं। हमारा रिकार्ड बेदाग एवं त्रुटि रहित है। हम अपने दीर्घकालीन कार्यों के लिए पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता हमारा सिद्धांत है और हम प्रतिदिन प्रार्थना के दौरान सुलभ के लक्ष्य का स्मरण करते हैं। सुलभ संस्थापक नैतिकता पर विश्वास करते हैं, जो एक स्वच्छ और सुखी समाज का आधार है तथा भारत में यह आरम्भ से विद्यमान रहा है।

 

अन्य सहभागियों ने भी इस अवसर पर अपने विचार प्रकट किए और साथ मिलकर इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन हेतु चर्चा की। श्री मिश्र ने इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सुलभ के समन्वयक श्री राकेश चन्द्रा की सराहना की।

 

साभार : सुलभ इण्डिया फरवरी 2015

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