मनोज भट्ट
नई दिल्ली, 25 अक्टूबर। एक आँकड़े के अनुसार दिल्ली में रोजाना 85 टन फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। नतीजा यमुना में प्रदूषण की मात्रा में बेहिसाब इजाफा होता है लेकिन इस बाबत एनजीटी के सख्त आदेशों के बाद भी जब यमुना में पूजा सामग्री गिराने को सरकारी तन्त्र नियति मान ले तो फिर यमुना शुद्धिकरण अभियान सरकारी दस्तावेजों में ही दफन हो जाता है लेकिन यह सच है कि जहाँ चाह होती है वहाँ राह खुद तैयार होती है। यमुना शुद्धिकरण की इस चाहत के साथ युवा भाईचारा संगठन ने यमुना में प्रवाहित फूल सामग्री की व्यवस्था के लिए पुष्पांजलि प्रवाह रथ तैयार किया है, जिसमें पूजा सामग्री एकत्र कर संगठन धूप-अगरबत्ती व खाद तैयार कर सरकारी तन्त्र को यमुना सफाई के लिए आईना दिखा रहा है।
आस्था व व्यवहार पर सामंजस्य बैठाते हुए युवा भाईचारे संगठन ने यमुना शुद्धिकरण के लिए नया तरीका खोज निकाला है। दिल्ली में यमुना की बदतर हालत और आस्था में पूजा सामग्री के सम्मान का सामंजस्य बैठाते हुए संगठन ने पुष्पांजलि रथ तैयार किए है और इसी पूजा सामग्री को एकत्र कर संगठन के कार्यकर्ता धूप-अगरबत्ती व खाद तैयार कर रहे हैं। संगठन द्वारा यमुना सफाई के लिए चलाई गई इस मुहिम का पर्यावरणविदों समेत आम लोगों ने स्वागत किया है। यमुना में पूजा सामग्री प्रवाहित करने के लिए आए राकेश कहते हैं कि ऐसे सच्चे व नायाब तरीकों से ही यमुना सफाई अभियान को आगे बढ़ाया जा सकता है। राकेश कहते हैं कि घर की पूजा सामग्री को प्रवाहित करने की मानसिकता से निकलकर जब लोग पूजा सामग्री को इन रथों में प्रवाहित करते हुए उत्पादों का प्रयोग करते समय यमुना की हालत पर चिन्तन करेंगे तो यमुना जरूर साफ होगी।
वहीं संगठन की इस मुहिम पर यमुना जिये अभियान के संयोजक मनोज मिश्रा ने संगठन के सभी पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि यमुना की सफाई के लिए सभी घाटों पर युवाओं को इस तरह के नायाब तरीकों के साथ आगे आना चाहिए। पूजा सामग्री से खाद व धूप तैयार कर युवाओं ने बेहतर काम किया है।
साभार : नवोदय टाइम्स 26 अक्टूबर 2015