स्वच्छता से ही बढ़ेगा पर्यटन: राष्ट्रपति

नई दिल्ली, भाषा। पर्यटन स्थलों पर शुरू किए गए सफाई अभियान की सराहना करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि इन स्थानों पर स्वच्छता के असमान मानदण्डों का पर्यटन पर नकारात्मक असर होगा।

 

उन्होंने सभी साझेदारों से स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए साथ मिलकर काम करने को कहा। उन्होंने यहाँ राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार कार्यक्रम में कहा, “साफ-सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मन्त्रालय का स्वच्छ भारत-स्वच्छ पर्यटन अभियान सही दिशा में एक स्वागतयोग्य कदम है।” मुखर्जी ने कहा कि असमान स्वच्छता मानदण्ड का नकारात्मक असर होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा खासतौर पर एक ऐसे वक्त में जब हमारा पर्यटन उद्योग हमारे सांस्कृतिक स्थलों की अनोखी सुन्दरता, हमारे एडवेंचर गंतव्यों की मनोरम छटा और वास्तुकलात्मक धरोहरों की समृद्धि को प्रायोजित कर रहा है।

 

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि साफ-सफाई और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मन्त्रालय का स्वच्छ भारत-स्वच्छ पर्यटन अभियान सही दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।

 

राष्ट्रपति ने भारत के अनुभव के सभी पहलुओं के तहत लक्ष्यों को हासिल करने को लेकर साथ मिलकर काम करने के लिए सभी साझेदारों का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पर्यटन मन्त्रालय के लिए यह जरूरी है कि वह इसका नेतृत्व करे और इस सिलसिले में उच्चतम मानदण्ड स्थापित करे। उन्होंने कहा, “यह समान रूप से महत्वपूर्ण है कि प्रभावी निगरानी के लिए प्रणाली विकसित की जाए ताकि सुनिश्चित हो सके कि इन मानदण्डों का प्रतिष्ठानों द्वारा पालन किया जा रहा है।” राष्ट्रपति ने सुरक्षा चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा कि हमने जो सुरक्षा तन्त्र बनाया है, जो हमने एहतियात तय की हैं उससे हमारे मेहमानों को यह अवश्य ही भरोसा मिलना चाहिए ताकि उन्हें कभी भी अपनी निजी सुरक्षा या अपने सामान की सुरक्षा के बारे में चिन्ता नहीं हो।

 

 

राष्ट्रपति ने कहा कि पर्यटन मन्त्रालय ने 24:7 इनक्रेडिबल इण्डिया हेल्पलाइन शुरू कर सुरक्षा चिंताओं का समाधान किया है। यह पर्यटकों को मूल्यवान सूचना मुहैया कराती है और आपातस्थिति के दौरान दिशानिर्देश देती है। उन्होंने कहा कि दूर-दराज के स्थानों पर शीघ्रता से पहुँचना, आय के अधिक हिस्से को खर्च करने और उच्च जीवनशैली की बढ़ती आकांक्षा यात्रियों की बढ़ती संख्या की विशेषताएँ हैं। प्राकृतिक संसाधनों और धरोहरों को संरक्षित रखने की जरूरत का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने पर्यटन उद्योग से सतर्कता से अपनी निवेश की ऐसे तरीके से योजना बनाने का अनुरोध किया है कि इस क्षेत्र की वृद्धि प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समझौता किए बगैर जारी रहे। उन्होंने ऊर्जा संरक्षण के नए और नवोन्मेषी तरीकों की हिमायत करते हुए कहा कि यह पर्यटन संस्थानों और आतिथ्य इकाइयों पर निर्भर होना चाहिए कि वे एक ऐसे तरीके से काम करें जो कि पानी और ऊर्जा की खपत कम करने में सक्षम हों और रचनात्मक पुनर्चक्रण तथा कूड़े के प्रभावी रूप से निपटारे को सुनिश्चित करे। राष्ट्रपति ने कहा कि पारस्परिक समझ, सहिष्णुता और लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए पर्यटकों तथा इनकी मेजबानी करने वाले समुदायों के बीच व्यापक सामाजिक सम्पर्क को बहुत लम्बा सफर तय करना होगा।

 

पर्यटन राष्ट्रों के बीच तथा दुनिया भर में दूर-दराज के समुदायों के साथ करीबी सामंजस्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान करता है। हालाँकि, उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि देश में कम संख्या में विदेशी पर्यटक आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत में 128.2 करोड़ घरेलू यात्राएँ दर्ज की गई। उस साल विदेशी पर्यटकों की संख्या में उसके पिछले साल की तुलना में 10.2 फीसदी की वृद्धि हुई। हालाँकि अन्तरराष्ट्रीय पर्यटकों में यह महज 0.7 फीसदी है। राष्ट्रपति ने कहा कि विदेशी पर्यटकों के आगमन में अपार वृद्धि होने की गुंजाइश है। उन्होंने ई-वीजा प्रणाली को हाल ही में पेश किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि 113 देशों के लिए ई-पर्यटन वीजा शानदार नतीजे दे रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अवश्य ही देश में उच्च गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर ध्यान देना होगा। मुखर्जी ने पर्यटन को विकास का एक एजेंट और आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन का इंजन बताया।

 

साभार : नया इण्डिया 19 सितम्बर 2015

Post By: iwpsuperadmin
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