10 दिसंबर 2014, मुंबई। अर्घ्यम ट्रस्ट की संस्थापक रोहिणी निलेकणी ने ‘इंडियन फिलेन्थ्रोफी इनिशिएटीव’ के तहत मुंबई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। देश में गन्दगी, खराब सेनिटेशन, नगर पालिकाओं का अव्यवस्थित कचरा प्रबंधन, गाँवों में खुले शौच की समस्या, आदतों में स्वच्छता सम्बन्धी बदलाव आदि सेनिटेशन से जुड़े बहुत से मुद्दे हैं। रोहिणी जी की चिंता यह है कि इन मुद्दों पर देश की ‘दान दाता संस्थाएं’, ‘कंपनियों के सामाजिक दायित्व कोष’, भामाशाह क्या कर सकते हैं और इन समस्याओं से निजात के लिये अपनी प्रभावी भागीदारी कैसे सुनिश्चित करा सकते हैं।
इस सम्मलेन का आयोजन- अर्घ्यम और डासरा ने मिलकर किया था जिसमें ‘बिल और मेलिण्डा गेट्स फाउण्डेशन’ के भारतीय प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की। अलग-अलग चरणों में हुई चर्चा में रोहिणी निलेकणी, राकेश भारती मित्तल (भारती समूह के उपाध्यक्ष), रति फोर्ब्स (फोर्ब्स मार्शल के निदेशक), ज़रीना स्क्रूवाला (स्वदेश फाउण्डेशन की मैनेजिंग ट्रस्टी), शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार के सचिव आइएएस श्री शंकर अग्रवाल के साथ ही प्रख्यात हस्तियों जैसे जो मडिएथ (ग्राम विकास के संस्थापक), डॉ. रेणु खोसला (क्योर की निदेशक), प्रतिमा जोशी (शेल्टर एसोसिएट्स की संस्थापक), दिव्यांग वाघेला (टाटा ट्रस्ट) और माइलेस एलेडगे (आरटीआई – गेट्स फाउण्डेशन की टॉयलेट बनाने की पहल की वैश्विक कार्यक्रमों की वरिष्ठ निदेशक) और हरी मेनन (गेट्स फाउण्डेशन के उप-निदेशक) के साथ अर्घ्यम की वरिष्ठ टीम ने स्वच्छता के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के प्रति दृष्टिकोण और विचारों को साझा किया।
कार्यक्रम में कई बड़ी कंपनियों के प्रमुख और उनके परिवार के सदस्यों के साथ ही कॉरपोरेट जगत की कई मशहूर शख्सियतें भी शामिल हुईं।
भारत में स्वच्छता को लेकर अगले सम्भावित कदम क्या होने चाहिए, इसको लेकर सभी ने अपने मत, अनुभव और विचारों को साझा किया। देश में स्वच्छता की समस्याओं और उससे निजात की संभावनाओं के सम्बन्ध में सम्मलेन काफी महत्वपूर्ण रहा।