संजय कुमार मेहरा
गुड़गाँव। साइबर सिटी के रूप में नाम कमा चुके गुड़गाँव की महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर चौंकाने वाला सच सामने आया है। यह सच है कि यहाँ के शौचालयों से महिलाओं में खतरनाक बीमारी पनप रही है। इस बीमारी का नाम है यूरिनरी ट्रेक्ट संक्रमण (यूटीआई)। यह उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है।
ग्रामीण महिलाएँ जहाँ उपयुक्त शौचालय के अभाव और साफ-सफाई की खराब व्यवस्था के कारण यूटीआई से पीड़ित होती हैं, वहीं शहरी और खासकर कामकाजी महिलाओं में गन्दे सार्वजनिक शौचालयों के कारण यह समस्या पनपती है।
महिलाओं पर किए गए घरेलू व चिकित्सीय शोध में यह तथ्य सामने आए हैं। इसमें कहा गया है कि यहाँ शौचालयों की सफाई की कमी के कारण 90 प्रतिशत महिलाएँ यूटीआई से पीड़ित हो रही हैं। इसके अलावा शहरी महिलाओं में सार्वजनिक जन-सुविधाओं का अभाव, उपलब्ध शौचालयों की खराब स्थिति के कारण ऐसे मामले तेजी से बढ़े हैं। कार्यस्थलों पर हाइजेनिक टॉयलेट की कमी, सार्वजनिक स्वच्छ शौचालयों का अभाव और व्यक्तिगत साफ-सफाई की अनदेखी कुछ ऐसे कारण बताए गए हैं, जिनसे शहरी भारतीय महिलाओं में यूरिनरी ट्रेक्ट संक्रमण (यूटीआई) के मामले तेजी से बढ़े हैं।
इस बारे में कोलंबिया एशिया अस्पताल के चिकित्सकों और विशेषज्ञों के आकलन के बाद यह भी कहा गया है कि यूटीआई महिलाओं और पुरुषों में देखा गया है, लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएँ इसकी ज्यादा शिकार हैं। यूटीआई को महिलाओं में सबसे आम बैक्टीरियल इंफेक्शन माना जाता है। लगभग 50 से 60 प्रतिशत महिलाएँ अपने जीवन में कम-से-कम एक बार यूटीआई से पीड़ित पाई गई हैं। कहीं भी यूरीनरी ट्रेक्ट के मामले के लिए माइक्रोऑर्गेनिज्म की उपस्थिति और वृद्धि को जिम्मेदार माना जाता है।
हर वर्ष विश्व के लगभग 15 करोड़ लोगों में यूटीआई के मामले पाए जाते हैं। ग्रामीण महिलाएँ जहाँ उपयुक्त शौचालय के अभाव और साफ-सफाई की खराब व्यवस्था के कारण यूटीआई से पीड़ित होती हैं, वहीं शहरी और खासकर कामकाजी महिलाओं में गन्दे सार्वजनिक शौचालयों के कारण यह समस्या पनपती है।
पेयजल का अपर्याप्त सेवन, व्यक्तिगत यूरिनरी की गन्दगी और यौन सम्बन्धी बर्ताव यूटीआई से ग्रस्त होने का कारण बनते हैं। इतना ही नहीं, पर्यावरण स्थितियों, लाइफस्टाइल और शहरी संस्कृति अपनाने जैसे कारणों से भी यूटीआई के मामले बढ़े हैं।
साफ-सफाई और जागरुकता जरूरी
स्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों का अभाव और कार्यस्थलों पर भी ऐसे टॉयलेट का अभाव एक बड़ी समस्या है। व्यक्तिगत साफ-सफाई तथा जागरुकता भी उतनी ही जरूरी मानी जाती है। महिलाओं को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो पसीने न आने दें। प्रत्येक महिला को पेशाब या शौच करने के बाद शरीर के उन हिस्सों को अच्छी तरह धोकर सुखा लेना चाहिए। यूटीआई का इलाज सम्भव है, लेकिन इसके दुबारा से होने की सम्भावना भी रहती है- डॉ. अमिता शाह, कंसल्टेंट गायनाकोलॉजिस्ट, कोलंबिया एशिया अस्पताल, गुड़गाँव।
साभार : नेशनल दुनिया 23 अगस्त 2015