रो रहा मेरा मन
कैसे रोकूं शौच प्रदूषण
दूषित वायु दूषित जल
प्रकृति रोती है हरपल
सरपट दौड़ रहे वाहन
मुरझा रहे वन उपवन
कैसे खेलूँ घर से बाहर
घर में तड़प रहा बचपन
कैसे पढूं घर के अन्दर
कैसे रोकूं शौच प्रदूषण
बाहर जाते लोग शौच करने
करते बाहर वायु प्रदूषण
मन बेबस हो रहा है आज
लौटा दो मुझको वह हरियाली
चारो तरफ हो खुशहाली
ले लो मेरा तन मन धन
कह रहा है मेरा मन
चारो तरफ है घोर प्रदूषण
खत्म करो ये शौच प्रदूषण
देता हमें ये बीमारियाँ और समस्या
नहीं चाहिए हमें यह शौच प्रदूषण
नहीं चाहिए हमें यह शौच प्रदूषण
साभार : वॉश क्रोनिकल अक्टूबर 2014