कुमार कृष्णन
पटना। मुख्यमन्त्री श्री नीतीश कुमार ने होटल मौर्या में एक निजी चैनल द्वारा आयोजित बिहार सेनिटेशन समिट 2015 ‘बनेगा स्वच्छ बिहार’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि शौचालय का सम्बन्ध स्वच्छता से है। उन्होंने कहा कि घर में शौचालय होने के बावजूद लोग खुले में शौच के लिए बाहर जाते हैं। उन्होंने स्वच्छता पर समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया जी के प्रयासों का भी जिक्र किया।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि सत्ता बदलाव से समस्या आती है। आज के समय में सामूहिक शौचालय ज्यादा कारगर नहीं है। आज घर-घर शौचालय की जरूरत है। स्वस्थ रहने के लिए लोगों को अपनी आदतें सुधारनी चाहिये। हाथों को ढंग से धोने के बाद ही खाना चाहिये। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह के प्रयासों से बदलाव आया है। मेरी चाहत है कि स्वच्छता का अभियान आन्दोलन बने।
स्वस्थ रहने के लिए लोगों को अपनी आदतें सुधारनी चाहिये। हाथों को ढंग से धोने के बाद ही खाना चाहिये।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि शौचालय के बिहार मॉडल को केन्द्र ने भी अपनाया है। देश भर में अब स्वच्छता की बातें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि संविदा, मानदेय पर नियुक्ति का सिलसिला बन्द होगा चाहिये। जरूरत पड़ेगी तो सरकार सफाई कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति करेगी। मुख्यमन्त्री ने लोक स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को कहा कि वे स्वच्छता दूत की नियुक्ति न करें बल्कि वार्ड सदस्यों को स्वच्छता अभियान की कमान सौंपी जाए।
उन्होंने कहा कि पंचायती राज जनप्रतिनिधियों को शौचालय बनाने की जिम्मेदारी मिलने से सरकार बदले में उन्हें प्रोत्साहन राशि देगी। मुख्यमन्त्री ने कहा कि अभी भी गाँवों में शौचालय नहीं होने के कारण महिलाओं को ‘नेचर कॉल’ के लिये अन्धेरा होने के बाद ही घर से निकलना पड़ता है। इस बीच में अगर किसी महिला का पेट गड़बड़ हो जाये तो बहुत कठिनाइयाँ होती है। उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया ने एक बार जिक्र किया था कि जब वे गाड़ी से गुजरते हैं तो आबादी वाले इलाकों से कुछ दूर महिलायें शौच करती दिख जाती है। गाड़ी की रोशनी पड़ते ही एक साथ महिलायें खड़ी हो जाती है। महिलाओं को बहुत ही कठिन स्थितियों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि 2008 में बिहार में 56 लाख ऐसे ए.पी.एल. परिवार थे, जिनके पास अपने शौचालय नहीं थे। बिहार सरकार ने लोहिया स्वच्छता योजना में बी.पी.एल. के साथ एपीएल परिवार को भी इसमें शामिल किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के अन्तर्गत एपीएल एवं बीपीएल परिवार में कोई अन्तर नहीं है। बी.पी.एल. परिवार के लोग खुले में शौच करें तो उन्हें बीमारी होगी और एपीएल परिवार वालों को खुले में शौच करने से बीमारी नहीं होगी क्या?
अभी भी गाँवों में शौचालय नहीं होने के कारण महिलाओं को ‘नेचर कॉल’ के लिये अन्धेरा होने के बाद ही घर से निकलना पड़ता है। इस बीच में अगर किसी महिला का पेट गड़बड़ हो जाये तो बहुत कठिनाइयाँ होती है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि मैं बाढ़ क्षेत्र से पाँच बार सांसद रहा हूँ। हमारे संसदीय क्षेत्र को टाल क्षेत्र कहा जाता है। जहाँ की अस्सी प्रतिशत आबादी बाढ़ से प्रभावित रहती है। घर से शौच करने के लिए निकलने वाली महिलाओं के लिये अलग नाव की व्यवस्था रहती थी और पुरूषों के लिये अलग। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शौचालय को उच्च स्थान पर बनना चाहिये। केन्द्र सरकार शौचालय के निर्माण में सहायता करे और राशि बढ़ाने पर विचार करे ताकि ठीक-ठाक शौचालय बने। उन्होंने कहा कि सामुदायिक शौचालय की अपेक्षा घरेलू शौचालय ज्यादा उपयुक्त हैं। आज शौचालयों को गन्दा करना लोगों की प्रवृत्ति बन चुकी है। उन्हें लगता है कि सफाई करना दूसरे का अधिकार है।
सार्वजनिक शौचालय की देखभाल जरूरी होती है। आज शौचालयों को गन्दा करना लोगों की प्रवृत्ति बन चुकी है। उन्हें लगता है कि सफाई करना दूसरे का कार्य है।
मुख्यमन्त्री ने कहा कि संक्रमण का सबसे बड़ा माध्यम हाथ है। लोग ठीक से हाथ नहीं धोते हैं। उन्हें ठीक से हाथ धोने चाहिये। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में उम्मीदवार होने की शर्त यह है कि उनके घर में शौचालय होने चाहिये। जिनके घर में शौचालय नहीं है, वे पंचायती राज संस्थान के उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि बनेगा ‘स्वच्छ बिहार’ की छोटी-छोटी फिल्म बनाकर लोगों को दिखायें। हर आदमी के मन में यह बात आए कि शौचालय बनाना अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ बिहार नहीं रहेगा तो आने वाली पीढ़ी के भविष्य का क्या होगा। उन्होंने कहा कि बनेगा 'स्वच्छ बिहार' को अभियान के तौर पर लिया जाये। सब मिलकर इस अभियान को सफल बनायें।
इस अवसर पर प्रधान सचिव लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग श्री शिशिर सिन्हा, श्री डेविड सिमकश डायरेक्टर ग्लोबल सेनिटेशन फण्ड, श्री आनन्द शेखर टीम लीडर ग्लोबल सेनिटेशन फण्ड इन इण्डिया, मिस सिंडी कुशनर सीनियर एडवाइजर वाटर सेनिटेशन एण्ड हाइजिन यूनिसेफ, श्री यामिन मजूमदार राज्य प्रतिनिधि यूनिसेफ एवं श्री प्रबोध कुमार सम्पादक ईटीवी ने भी अपने-अपने विचार अभिव्यक्त किए।