साफ-सफाई महिलाओं की सेहत के लिए जरूरी

डॉ. सोम शेखर विश्वामित्र

वैसे तो प्रकृति में गन्दगी को दूर करने के लिए तमाम व्यवय्थाएँ हैं, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि हमें गन्दगी व साफ-सफाई से अपना मुहँ मोड़ लेना चाहिए। बाह्य सफाई की बात हो या आन्तरिक सफाई की, दोनों ही बेहतर स्वास्थ्य के लिए अतिआवश्यक हैं। यदि आपका शरीर गन्दा है तो चर्म रोग यानी त्वचा रोग, योनि रोग, मानसिक विकृति, गुप्तांग रोग आदि उत्पन्न होने लगते हैं। इसी तरह यदि घर और कमरे में गन्दगी है तो उससे भी बीमारी को आमन्त्रण मिलता है। इसी की वजह से मक्खी, मच्छर, चिंटी, चींटों का जन्म होता है। उनकी अधिकता बढ़ते ही डेंगू ज्वर, मलेरिया, उदर सम्बन्धी विकार जैसे उल्टी, दस्त, हैजा आदि रोग पैदा होने लगता है।

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि अस्वच्छता से उत्पन्न होने वाले ये रोग पुरूषों की बजाए महिलाओं को अपनी गिरफ्त में जल्द लेते हैं। नारी की शारीरिक बनावट जिस तरह की है, उसमें उसके लिए साफ-सफाई से रहना और भी जरूरी हो जाता है। पुरूष प्रधान समाज में महिलाएँ विशेषकर मूत्र संक्रमण की विकृति का शिकार होती हैं। कुछ तो इसे समझ नहीं पाती और जो समझ भी पाती हैं वो लोक-लाज में इसे व्यक्त करने की स्थिति में नहीं रहती हैं। जिसे समाज में गुप्त रोग कहते हैं, इन रोगों की एक बड़ी वजह साफ-सफाई का ध्यान ना रखना ही है। साफ-सफाई का ख्याल ना रखने के कारण ‘डेसीलस कोलाई’ नामक जीवाणु उत्पन्न होकर योनि मार्ग द्वारा शरीर के अन्दर प्रवेश जाते हैं और अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। कई बार ऐसा देखने को मिला है कि अस्वच्छता के कारण महिलाओं के हार्मोन्स असन्तुलित हो जाते हैं, जिसके कारण कई और बीमारियों के उत्पन्न हेने की आशंका बढ़ जाती है। उपरोक्त जिवाणुओं की संक्रमण गति बहुत ही तीव्र होती है और ये महिलाओं के शरीर में बहुत तेजी से फैलते-बढ़ते हैं। इसकी भयावहता का अन्दाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह रजोवृत्ति के बाद प्रौढ़़ा अवस्था में पहुँच चुकी महिलाओं में भी मूत्र सम्बन्धी विकृति पैदा करते हैं।

इसी तरह ल्यूकोरिया रोग उत्पन्न होने पर जर्म्स उदर तक पहुँच कर कई अन्य बीमारियों को न्योता देते हैं। अत: 40 वर्षों का मेरा औषधीय व चिकित्सीय अनुभव यही कहता है कि यदि महिलाएँ खुद को स्वस्थ रखना चाहती हैं तो खुद साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। अपने वातावरण को स्वच्छ रखें। आलस्य का त्याग करें। इससे तन-मन में प्रसन्नता, स्फूर्ति व उल्लास का भाव जागृत होगा व जीवन में खुशहाली आएगी।

साभार :  सोपान स्टेप नवम्बर 2014  

Post By: iwpsuperadmin
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