सामाजिक उत्थान के अभियान में यह भी एक कड़ी

अनिता झा


परिस्थितियों को सामाजिक परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए सुलभ माकूल प्रयत्न कर रहा है, ताकि दलित लोगों को भी मानवीय मान-मर्यादा मिल सके और उन्हें भी ऐसा लगे कि वे भी समाज में अन्य लोगों के बराबर हैसियत रखते हैं। ऐसा अनुभव किया 15 अप्रैल, 2010 को टोंक की उन 100 पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं ने जो राजधानी के एक उच्चस्तरीय पाँच सितारा होटल हयात रीजेंसी में, जहाँ वे समाज के उच्चवर्गीय लोगों के साथ बिना किसी भेदभाव के मिलजुल रही थीं और एक मेज पर भोजन कर रही थीं।


उन पुनर्वासित महिलाओं को सुलभ-स्वच्छता एवं सामाजिक सुधार-आन्दोलन के संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक उक्त होटल में ले गए थे। यह कार्य उनके उस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में था, जिसका उद्देश्य सर पर मैला उठाने जैसे अमानवीय कार्यों से पुनर्वासित उनलोगों को यह महसूस कराना था कि वे भी मानवीय गरिमा की हकदार हैं, कारण यह कि इससे पूर्व वे समाज की सबसे निचली सीढ़ी पर अस्पृश्य के रूप में जीने को मजबूर थीं।


रंगीन साड़ियों में लिपटी टोंक की वे महिलाएँ जब एक खास बस से होटल में पहुँचीं, तो वे स्वयं आश्चर्यचकित थीं। उनका ख्याल था कि ड्राइवर ने गलती से उन्हें वहाँ पहुँचा दिया है। उनमें थोड़ी हिचकिचाहट जरूर थी, लेकिन जब डॉ. पाठक ने समझाया कि उन्हें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए, वे सहज महसूस करें। डॉ. पाठक ने कहा कि मैं आपलोगों को इस स्थल पर इसलिए लाया हूँ, ताकि आप अपना अतीत भूल सकें।


लंबे-तगड़े सर पर पगड़ी और पिच्छक धारण किए हुए दरबार दरवाजे पर खड़े थे, आगंतुकों के वहाँ पहुँचने पर उन्हें ‘सर’ या ‘मैडम’ कहते हुए उनका स्वागत करने के लिए। उनके द्वारा ‘मैडम’ कहने पर उन पुनर्वासित महिलाओं को लगा कि वे दूसरी दुनिया में पहुँच गई हैं। उन्हें तो ‘भंगन’ या ‘मेहतरानी’ कहकर पुकारा जाता रहा है। एक दिन उन्हें ‘मैडम’ कहकर सम्बोधित किया जाएगा, यह एक जादुई स्थिति थी, जिसे डॉ. पाठक ने उनकी दुनिया में पैदा कर दी थी। सामाजिक मानकों को बदलने वाले डॉ. पाठक का तो संकल्प ही रहा है-सभी के लिए समानता का सुनिश्चिय करना, स्कैवेंजरो को मुक्त करने हेतू संघर्ष करना।


होटल के जिस फोयर में वे खड़ी थीं, उसकी फर्श चमकती हुई ग्रेनाइट पत्थर की थी-फिसलन पैदा करनेवाली, शीशे-जैसी। उनके सामने खड़ी थीं आकर्षक नाक-नक्श वाली लड़किया-आँखों पर चश्मा, पैंट और लघु स्कर्ट मे फबती हुई। उस भव्य वातावरण में अपने को पाकर उनमें से दो बुदबुदाईं, ‘हे भगवान! गनीमत है कि हमें यहाँ कोई पहचान नहीं रहा है।’


हयात की भव्यता, समृद्धि और उसकी दीवारों पर की गई सजावट देखते ही बनती है। होटल के एक कोने पर उनलोगों के लिए जो जगह बनाई गई थी, उसकी भव्यता आकर्षक थी। वहाँ वे एकदम सवप्नवत् अंदाज में डूबी खुली-खुली आँखो से देख रही थीं। तभी डॉ. पाठक परिवार और सुलभ परिवार के सदस्यों ने उनसे कहा कि इस तरह भौंचक होकर न देखें, सामान्य ढंग से व्यवहार करें। यानी उस तरह जैसे लगे कि वे इस जगह पर अक्सर आती रहती हैं।


डॉली उन पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं में सबसे छोटी है। वह इस नए अनुभव से ऐसे गुजर रही थी, जैसे पानी में बतख। वह ऐसा महसूस कर रही थी, जैसे वह अपने किन्हीं साथियों के व्यवहार से परेशान रही हो। उसने दाँत भींचे और सबको बाबा के पीछे चलने को कहा। यहाँ बाबा से उनका मतलब फाउंडर साहब से है। अब वे वहाँ खड़े थे, जहाँ होटल का रेस्त्राँ ‘आँगन’ था यानी हयात रीजेंसी की लॉबी में। डॉली और अन्य महिलाओं के वहाँ पहुंचते ही उसके चेहरों पर तब मुस्कुराहट दौड़ गई, जब रेस्त्राँ के द्वार के नजदीक उनका स्वागत किया गया।


भोजन प्रारम्भ होने से पूर्व डॉ. पाठक ने उनसे वह सद्य: रचित गीत गाने को कहा- ‘अब हम आजाद हुए हैं, हम गीत खुशी के गाएँगे...।’ रेस्त्राँ पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं की आवाज से उस वक्त प्रतिध्वनित हो उठा, जब उन्होंने यह कहा कि अब वे सबकुछ कर सकती हैं, जिसके करने पर उनके लिए मनाही थी, क्योंकि वे नीची जाति की हैं।


गीत के बाद, जब वे अपनी मेजों पर बैठीं, तो यह देखकर खुशी से झूम उठीं की अपनी वर्दी में वेटर और शेफ उनके इर्द-गिर्द घूम रहे थे, यह देखने के लिए की टेबुल पर पड़े खाद्य-पदार्थ-कढ़ी, बिरयानी, शाही-पनीर, भुना मुर्गा और दूसरे जायकेदार पदार्थों (जो एक किनारे पड़े थे) को लेना कोई भूली तो नहीं। चूँकि सुलभ ने टोंक की इन नई राजकुमारियों के लिए वहाँ की सारी जगह आरक्षित करा ली थी, इसलिए वहाँ पर बाहर का कोई व्यक्ति नहीं था। पुनर्वासित स्कैवेंजर महिलाओं ने व्यंजनों का खूब लुत्फ उठाया और बहुत खुले ढंग से कहा कि जिन्दगी में कभी भी उन्हें ऐसा जायकेदार खाना नहीं मिला था। न ही कभी उनका ऐसा राजसी स्वागत हुआ था, जिसका अनुभव उन्होंने इस होटल में किया। उनलोगों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘हमारे उद्धारक जिन्दाबाद! उनका संकल्प जिन्दाबाद! नए जीवन देने का उनका संकल्प जिन्दाबाद!’

साभार : सुलभ इण्डिया जून 2010

Post By: iwpsuperadmin
Topic
×