पूर्वोत्तर क्षेत्र में सतत स्वच्छता के लिए सम्पूर्ण सफाई अभियान

अगाथा संगमा


स्वच्छता की कमी ग्रामीण और शहरी भारत में बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई है। स्वच्छता की कमी से जुड़ी हुई बीमारियां बड़ी संख्या में लोगों के लिए और खासतौर से बच्चों के लिए जानलेवा बनी हुई हैं। इनके कारण लोगों की आय और उत्पादकता में काफी नुकसान होता है। सफाई की कमी के चलते लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं जो महिलाओं और युवतियों के लिए खासतौर से उनकी गरिमा के खिलाफ है।


इन तथ्यों के बावजूद कि भारत एक गतिशील, औद्योगिक और जीवंत लोकतान्त्रिक देश है और इसकी आठ प्रतिशत विकास दर इसे महत्वपूर्ण विकासशील देशों में शामिल कराती है लेकिन इन सबके होते हुए उसकी कुल आबादी के एक तिहाई लोग खुले मे शौच के लिए जाते हैं। भारत जैसे विशाल जनसंख्या, आकार और विविधतापूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों वाले देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती है और इसे दुनिया की विचित्र और अनोखी सफाई की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किया है। सम्पूर्ण सफाई अभियान (टीएससी) नाम के इस अभियान के जरिए सभी ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता की सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम शुरू किया गया है। सम्पूर्ण सफाई अभियान के इस सफल कार्यक्रम ने 2001के 21 प्रतिशत की तुलना में चालू वर्ष तक 67 प्रतिशत आवासों में 22,618 शौचालय सुविधाएं उपलब्ध कराई है जिसके चलते अब ये खुले शौच मुक्त निर्मल ग्राम बन गए हैं।


सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के परिणामस्वरूप 17,885 रुपये करोड़ के परियोजना व्यय से 7.07 करोड़ निजी व्यक्तिगत शौचालय (आईएचएचएल), 10.33 लाख स्कूली शौचालय, 3,47,077 आंगनबाड़ी शौचालय और 19,509 सामुदायिक स्वच्छता परिसर बनाए जा चुके हैं। इस विभाग ने 2015 तक सभी ग्रामीण क्षेत्रों में सबके लिए  शौचालय उपलब्ध कराने का कार्यक्रम बनाया है।


हस तथ्य को स्वीकार करने हुए कि यह कार्यक्रम सभी ग्रामीण समुदायों को अत्यन्त किफायती स्वास्थ्य सम्बन्धी और सामाजिक लाभ उपलब्ध कराता है सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) अब पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी 8 राज्यों में लागू किया जा रहा है। ये राज्य है अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा। जहा सम्पूर्ण पूर्वात्सर क्षेत्र ग्रामीण सफाई के मामले में काफी अच्छी स्थिति में है, वहीं अन्य राज्यों से तुलना करने पर इन राज्यों में सफाई के मामले में पर्याप्त विभिन्नता दिखाई देती है।

 

राज्यवार प्रत्यक्ष निष्पादन (प्रतिशत में)

 

क्रं सं.

राज्य

आईएचएचएल बीपीएल %

आईएचएचएल एपीएल %

आईएचएचएल कुल %

स्वच्छता गठन %

स्कूली शौचालय %

आंगनबाड़ी शौचालय %

1.

अरुणाचल प्रदेश

36.77

59.53

39.88

18.55

97.16

87.57

2.

असम

39.79

20.96

33.32

9.95

92.41

62.64

3.

मणिपुर

13.24

28.84

17.29

55.07

73.51

75.01

4.

मेघालय

33.83

49.07

38.33

25.17

33.12

21.83

5.

मिजोरम

66.38

88.86

70.03

87.86

100.00

59.11

6.

नागालैंड

39.03

19.32

36.11

64.73

61.74

61.37

7.

सिक्किम

100.00

100.00

100.00

100.00

100.00

100.00

8.

त्रिपुरा

94.32

80.96

90.07

71.68

67.02

91.55

  

46.60

32.28

42.15

69.17

79.18

68.24

 

सिक्किम ने पहला खुला शौच मुक्त प्रदेश बनकर भारत के निर्मल राज्य के रूप में सराहनीय उपलब्धि प्राप्त की है । राज्य की उल्लेखनीय सफलता का रहस्य यह है कि सिक्किम के राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व ने इस कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और स्थानीय सुशासन व्यवस्था स्थानीय समुदायों, महिला स्वसहायता समूहों और युवा मंडलों ने सक्रिय भागीदारी करके इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन को विकेन्द्रीकृत किया। अब निर्मल राज्य का दर्जा प्राप्त करने के बाद यह राज्य अगले चरण की स्वच्छता गतिविधि (ऋतु धर्म सम्बन्धी सफाई और ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन) शुरु कर रहा है। हाल ही में सिक्किम सरकार ने एक स्वयंसेवी संगठन इंडियन ग्रीन सर्विसेस की सहायता से एसएलडब्ल्यूएम की पायलट परियोजना शुरू कर दी है।


बाल पन्चायत


युवा सफाई चैंपियनों की केस-स्टडी समता एवं जमीनी स्तर के लोकतन्त्र का एक नायाब नमूना-बीएसी वोक सिक्किप, सिक्किम के अन्तर्गत अधिकार उत्तरदायित्व के साथ मिलते हैं। बीएसी सिक्किम ने फरवरी 2010 में 12 स्कूलों में बाल पंचायत की अवधारणा शुरू की थी। ग्राम पंचायतों के वयस्क सदस्यों के लिए एक उदाहरण पेश करते हुए बीएसी सिक्किम के अन्तर्गत स्कूली बच्चे एक स्वशासी समानान्तर व्यवस्था चला रहे हैं और इसके जरिये वे शिक्षा स्वास्थ्य, मनोरंजन और छुट्टियों का अधिकार जता रहे हैं।


गाँव के बच्चों ने स्कूल के अधिकारियों की देखरेख में आम चुनाव के जरिये एक बाल पन्चायत गठित कर ली है। अध्यक्ष के साथ इस बाल पन्चायत में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, सांस्कृतिक मामले, खेलकूद आदि के मन्त्री होते हैं। इन मन्त्रियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे बड़े-बुजुर्गों और अधिकारियों का ध्यान बाल कल्याण योजनाओं की तरफ दिलाएँ और ऐसा करते हुए बच्चों की समस्याएँ दूर कराएँ।

 

25.11.2010 तक प्राप्त सूचना के आधार पर प्रतिशतवार वित्तीय प्रगति रिपोर्ट

(सभी आंकड़े लाख रुपये में)

क्रं सं.

राज्य

कुल परियोजना परिव्यय

अनुमोदित भाग

कोष विमोचन

रिपोर्ट किया गया व्यय

केन्द्र

राज्य

लाभार्थी

केन्द्र

राज्य

लाभार्थी

कुल

केन्द्र

राज्य

लाभार्थी

कुल

1.

अरुणाचल प्रदेश

6073.8

4128.04

1485.92

459.9

2578.31

414.65

105.73

3098.69

1786

404

92.59

2282.59

2.

असम

80110.33

54342.19

18887.7

6880.44

26793.36

7288.49

1830.68

35912.53

17639.42

5896.09

1629.48

25164.99

3.

मणिपुर

9482.3

6458.46

2243.71

780.13

2348.56

475.47

119.22

2943.25

1391.32

345.35

99.19

1835.86

4.

मेघालय

11193.33

7730.66

2689.28

773.39

3183.31

946.13

200.25

4329.69

2517.35

692.7

124.64

3334.7

5.

मिजोरम

4651.55

3150.7

1079.64

421.21

2218.7

602.65

278.04

3099.39

1919.69

588.52

271.13

2779.34

6.

नगालैंड

6811.77

4675.53

1553.86

582.37

1824.88

537.66

169.33

2531.87

1741.73

455.93

169.09

2366.75

7.

सिक्किम

2059.79

1264.22

520.35

275.22

1123.07

1051.82

729.45

2904.34

1010.21

1051.82

729.45

2791.48

8.

त्रिपुरा

9071.25

5527.36

2279.32

1264.57

4634.96

1718.1

1388.93

7741.98

3583.44

1500.04

932.65

6016.13

 

          योग

12945.18

87277.16

30739.78

11437.23

44705.15

13034.97

4821.63

62561.74

31589.16

10934.45

4048.22

46571.84

 

प्रखण्ड प्रशासनिक केन्द्र द्वारा संगनाथ सेकेंडरी स्कूल के शौचालयों में बेहतर सफाई के लिए सड़क बनाने का एक स्वसहायता अभियान शुरू किया गया। यह स्कूल इस दूर-दराज की ग्राम पन्चायत का सबसे दूर स्थित केन्द्र था। यहाँ शौचालय बनाने के अभियान के दौरान सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए कोष का इस्तेमाल किया गया और मजदूरी के लिए स्कूली छात्रों, शिक्षकों, समुदाय के सदस्यों, और पन्चायत तथा ब्लॉक अधिकारियों ने श्रमदान किया। इसके चलते आखिरकार जो परिसम्पत्ति सृजित हुई उससे लोगों में स्वामित्व की भावना आई जो पहले नहीं थी।


त्रिपुरा दूसरा राज्य है जिसने सफाई अभियान के अंतर्गत 90 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त करते हुए सराहनीय प्रगति की है। इस राज्य में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान एक व्यापक अवधारणा है जिसमें कचरा निपटान, भोजन की साफ-सफाई, व्यक्तिगत स्वच्छता तथा घरेलू एवं पर्यावरण सम्बन्धी सफाई शामिल है।


कहानी दक्षिण त्रिपुरा की


जिले केसभी 11 विकास खंडों में महिलाओं के स्वसहायता समूहों ने ग्रामीण सफाई संघ गठित किए हैं। इन संघों में घरेलू इस्तेमाल के लिए पीढे़ और मोजेइक पैन/साइफन आदि बनाए जाते हैं। ग्राम पंचायत स्तर पर अनेक छोटी उत्पादन इकाइयां/उत्पादन केन्द्र बनाए गए हैं जिनमें लक्ष्य के शत प्रतिशत के बराबर काम निर्धारित समय के अन्दर किया जाता है।


सतचंद प्रखण्ड की दो ग्राम पंचायतों-राजीवनगर और रतनमणि तथा पश्चिम जलेफा और बंकुल महामणि ग्राम पंचायतों ने संयुक्त रूप से सतचंद और रूपयीचारी ब्लाकों में सफाई की पूरी व्यवस्था कर दी है। जिले की पहली तीन ग्राम पंचायतों के अंतर्गत सभी लक्षित परिवारों ने सफाई का 100 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त किया। मुख्यमन्त्री ने उन्हें पुरस्कारस्वरूप अतिरिक्त विकास कोष आवंटित किए। इसके कारण लोगों का और जिले में ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में लगी एजेंसियों का भी उत्साह बढ़ा।

 

सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) में परियोजना उद्देश्यों की तुलना में प्रतिशतवार परियोजना निष्पादन  (25.11.2010 तक प्राप्त सूचना के आधार पर प्रतिशतवार प्रत्यक्ष प्रगति रिपोर्ट)

क्रम सं.

राज्य

आईएचएचएल बीपीएल

आईएचएचएल एपीएल

आईएचएचएल योग

स्वच्छता गठन

स्कूली शौचालय

आंगनबाड़ी शौचालय

  

लक्ष्य

उपलब्धि

%

लक्ष्य

उपलब्धि

%

लक्ष्य

उपलब्धि

%

लक्ष्य

उपलब्धि

%

लक्ष्य

उपलब्धि

%

लक्ष्य

उपलब्धि

%

1.

अरुणाचल प्रदेश

115560

42488

36.77

18301

10894

59.53

133861

53382

39.88

318

59

18.55

3944

3832

97.16

1866

1634

87.57

2.

असम

2220017

883254

39.79

1161020

243317

20.96

3381037

1126571

33.32

211

21

9.95

34772

32134

92.41

16819

10535

62.64

3.

मणिपुर

194887

25807

13.24

68367

19716

28.84

263254

45523

17.29

386

215

55.7

3919

2881

73.51

1201

902

75.1

4.

मेघालय

216333

73195

33.83

85500

42490

49.7

301833

115685

38.33

290

73

25.17

10331

3422

33.12

1851

404

21.83

5.

मिजोरम

89903

59679

66.38

18975

16861

88.86

108878

76540

70.3

560

492

87.86

3219

3219

100

1543

912

59.11

6.

नागालैंड

180092

70289

39.03

31254

6038

19.32

211346

76327

36.11

275

178

64.73

2972

1835

61.74

1302

799

61.37

7.

सिक्किम

51302

58104

100.00

35712

36496

100

87014

94600

100

789

913

100

1604

1606

100

340

416

100

8.

त्रिपुरा

454757

428938

94.32

169017

136844

80.96

623774

565782

90.7

226

162

71.68

6833

4592

67.2

6024

5515

91.55

 

योग

3522851

1641754

46.60

1588146

512656

32.28

5110997

2154410

42.15

3055

2113

69.17

67594

53521

79.18

30946

21117

68.24

 

 

मणिपुर में जहां स्कूली साफ-सफाई का अच्छा काम हुआ है, वहीं आईएचएचएल कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रगति धीमी रही। यह राज्य के लिए चिन्ता की बात है। यहां का अधिकांश भूभाग पहाड़ी है और यहां शौचालय के लिए गड्ढे खोदने में दिक्कत आती है। लेकिन राज्य में पर्यावरण की सफाई को बढ़ावा दिया जा रहा है और इसके लिए महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से लाभ उठाया जा रहा है।


मेघालय के सभी सात जिलों में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान के अंतर्गत शौचालयों की उपलब्धता और पहुंच बढ़ाने केलिए सघन अभियान चलाया गया है। टीएससी कार्यक्रम को जिला जल एवं स्वच्छता मिशन तथा ग्राम जल एवं सफाई समिति के अन्तर्गत लागू किया जा रहा है। इस राज्य ने दक्षिण एशिया के जल एवं स्वच्छता कार्यक्रम के साथ प्रभावी भागीदारी करके अपने सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को बेहतर बनाया है। इस राज्य ने वर्ष 2011 से जनगणना के आधार पर अपने टीएससी कार्यक्रम के उच्चीकरण की सिफारिश की है और टीएससी की प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए बीपीएल आँकडें संशोधित कर दिए हैं। साथ ही, इसने सफाई कार्यक्रम को शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के विकास कार्यक्रमों से जोड़ दिया है।


मिजोरम में टीएससी की शुरुआत 2002 में की गई थी और इसे सभी जिलों में लागू किया जा रहा है। सम्पूर्ण सफाई अभियान के अन्तर्गत सभी सूखे शौचालयों को फ्लश शौचालयों में बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं। मिजोरम में जहां सफाई अभियान पर खासा ध्यान दिया गया है, वहीं लोगों के हाथ धोने जैसे व्यवहारों पर ध्यान नहीं दिया गया। इस राज्य की एक खास बात यह है कि सम्पूर्ण स्चच्छता अभियान और खासतौर से नालियों की सफाई और अनुरक्षण के काम में स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग लिया जा रहा है।


नागालैंड ने सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान टीएससी की शुरुआत 2005 में की और फिलहाल यह कार्यक्रम राज्य के 11 में से 9 जिलों में चल रहा है। इस राज्य में सरकार ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं ताकि टीएससी के अन्तर्गत काम पूरे किए जा सकें। इस राज्य ने सामाजिक पूंजी को सुदृढ़ बनाने का अभियान शुरू करने में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और स्थानीय नेताओं तथा विधायकों का सहयोग लेने का सुझाव दिया है तथा टीएससी लक्ष्यों को निर्धारित समय में पूरा करने के लिए समय-तालिका सुझाई है।


अरुणाचल प्रदेश में कुल मिलाकर टीएससी की प्रगति धीमी रही। इस राज्य में कार्यक्रम की प्रमुख चुनौतियां हैं बस्तियों का दूर-दराज में स्थित होना, पहाड़ी इलाकों में सड़क व्यवस्था का न होना तथा लोंगों की कम आमदनी। इसके अलावा कपड़े और खर पतवार से झाड़ू लगाने और पानी से धुलाई करने में समय लगता है। अब तक राज्य की 16 ग्राम पंचायतें निर्मल ग्राम पंचायत पुरस्कार जीत चुकी हैं और वे अपनी निर्मल ग्राम पंचायत स्थिति बनाए हुए हैं। इस राज्य ने अपने चुनिंदा जिलों में पर्यावरण स्वच्छ रखने के उद्देश्य से नयी रियायतें देने का प्रस्ताव किया है। गरीबी रेखा से उपर वाले परिवारों को भी प्रोत्साहन देने का प्रस्ताव किया गया है। राज्य में गरीबी रेखा से नीचे और गरीबी रेखा से उपर वाले परिवारों में अन्तर बहुत मामूली है।


असम में कच्चे शौचालय एक बड़ी चुनौती हैं। कच्चे शौचालयों को सुरक्षित बनाने के प्रयास जारी हैं। आंगनबाड़ियों को सफाई सुविधाएं दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन निजी इमारतों में स्थित होने के कारण जगह की कमी इनकी सबसे बड़ी समस्या है। असम के 4 जिलों में ग्राम परिषद विकास समितियां पंचायत राज निकायों की जगह काम करती हैं और राज्य के 2 जिले स्वायत्तशासी परिषद के अन्तर्गत आते हैं जहां सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान लागू करना मुश्किल है।


पूर्वोत्तर राज्यों में स्वच्छता सम्बन्धी नीति/कार्यक्रम लागू करने में आड़े आने वाले मुद्दे


पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष मुद्दे हैं और वहां कम निष्पादन वाले राज्यों में सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान पर ध्यान देने की जरूरत है, भारत सरकार ने कई उपाय किए हैं। इनमें से नीति सम्बन्धी पहल और वे मुद्दे जो पूर्वोतर क्षेत्र में सफाई को बढ़ावा देने में आड़े आते हैं, नीचे दिए जा रहे हैं:


1. भारत सरकार की नीति के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 10 प्रतिशत कोष आवंटित किए जाते हैं। चालू वित्त वर्ष में टीएससी के लिए 1,580 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं जिसमे से 158 करोड़ रुपये पूर्वोत्तर राज्यों के लिए हैं।


2. केन्द्र सरकार द्वारा पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों को 2,000 रुपये का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाता है जबकि अन्य के लिए यह मात्र 1,500 रुपये होता है। राज्य और लाभार्थी का भाग इसमें क्रमशः 700 रुपये और 300 रुपये होता है।


3. स्कूली शौचालय के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार अतिरिक्त प्रोत्साहन देती है (38,500 रुपए पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों के लिए जबकि 35,000 रुपए अन्य को) आंगनबाड़ी शौचालय के निर्माण के लिए पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र को 10,000 रुपये दिए जाते हैं जबकी दूसरों को 8,000 रुपये की राशि दी जाती है।


4. पूर्वोत्तर राज्यों में सफाई परियोजनाओं को लागू करते समय क्षेत्र की विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण सफाई बनाए रखने के लिए सतत प्रोद्यौगिकी विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। कई अन्य राज्यों ने सुझाव दिया है कि जिन राज्यों

में शौचालयों के लिए गड्ढे खोदना मुश्किल पड़ता है, वहां पर्यावरण-हितैषी प्रौद्योगिकी की अग्रगामी योजनाएं शुरू की जानी चाहिए।


5. भारत सरकार ने डब्ल्यूएसएसओ, प्रखण्ड संसाधन केन्द्र, राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, जिला जल स्वच्छता स्वास्थ्य समितियां जैसे अनेक संस्थान खोले हैं और प्रमुख संसाधन केन्द्रों की भी संख्या बढ़ा दी है जो स्वच्छता को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के क्षमता निर्माण में सहायता करती है। इससे राज्यों को स्वच्छता बढ़ाने की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलती है।


6. अनेक राज्यों मे अकसर प्राकृतिक आपदाएं आती हैं जैसे असम में बाढ़ आने से स्वच्छता सुविधाएं प्रभावित होती हैं। इन आपदाओं से निपटने वाली तकनीकों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।


7. पूर्वोत्तर के उन राज्यों में जहां शौचालयों के निर्माण में अधिक प्रगति हुई है, जैसे सिक्किम और त्रिपुरा, वहां एक निर्मल राज्य नीति का पद विकसित किए जाने की जरूरत है। इसका काम होगा ठोस और तरल कचरा प्रबन्धन, पर्यावरण स्वच्छता, ऋतुधर्म स्वच्छता प्रबन्धन आदि जैसी अगले चरण की गतिविधियों के लिए क्षमता निर्माण।


(लेखिका ग्रामीण विकास राज्यमन्त्री हैं।)

ईमेल: mosrural197@gmail.com)


साभार : योजना फरवरी 2011


राज्यवार प्रत्यक्ष निष्पादन (प्रतिशत में)

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