रितिका कमठान
पूर्वी निगम क्षेत्र के सीलमपुर, उस्मानपुर, लक्ष्मीनगर के ढलाव घर आमतौर पर कूड़े से भरे रहते हैं। वहीं विश्वास नगर, मौजपुर, आदि क्षेत्रों में सफाई न होने की वजह से वहाँ की हालत बदतर हो गई है। क्षेत्र में सफाई व्यवस्था चरमरा गई है जिससे कई पार्षद और जनता सभी परेशान हैं।
पूर्वी दिल्ली नगर निगम में सफाई व्यवस्था सही नही हैं। यहाँ भी संसाधनों व सफाई कर्मियों की भारी कमी की वजह से जगह-जगह पसरी गन्दगी देखी जा सकती है।
पार्षदों का कहना है कि निगम के पास पूरे कर्मचारी भी नहीं है। कई क्षेत्रों में मशीनें हैं, लेकिन उनका उपयोग करने वाले सफाई कर्मचारी नहीं है। काफी समय से कई पार्षद अतिरिक्त सफाई कर्मचारियों की भी माँग कर रहे हैं। इतना ही नहीं निगम में कुल 64 वार्ड हैं जिनमें ऑटो टिप्पर, साइकिल रिक्शा, लोडर आदि की भी भारी संख्या में कमी है। पार्षदों का कहना है कि क्षेत्र में कई गलियों में टिप्पर आसानी से नहीं जा सकते हैं। कहीं रिक्शा की जरुरत पड़ती है, कहीं ऑटो टिप्पर की। निगम में अब भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ नियमित रूप से सफाई नहीं होती है। निगम के पास इस समय 15000 सफाई कर्मचारी हैं। वहीं 64 वार्ड के पूर्वी निगम में कुल 54 टिप्पर ट्रक, 26 लोडर, 62 प्राइवेट ट्रक और 320 साइकिल रिक्शा हैं।
चार-पाँच करते हैं काम
वार्ड में 20-30 कर्मचारियों और ऑटो टिप्पर की सख्त जरुरत है। क्षेत्र में वैसे तो 250 के करीब कर्मचारी हैं, लेकिन काम के समय पर सिर्फ 4-5 कर्मचारी ही दिखाई देते हैं- गुरमीत कौर, पार्षद।
पहला काम सफाई
निगम का सबसे पहला काम ही सफाई करना है। इसे निगम कर रहा है। अगर कहीं कर्मचारियों की कमी है, तो उसे पूरा किया जा सकता है। हम स्वच्छ भारत अभियान के तहत अधिक से अधिक प्रयास कर रहे हैं ताकि कामयाब हो सकें- हर्षदीप मल्होत्रा, महापौर पूर्वी दिल्ली नगर निगम।
कर्मियों की संख्या
नालियों में कूड़ा निकलने के बाद कई दिनों तक पड़ा रहता है। गलियों में कूड़ा उठाने के लिए दिए रिक्शे भी काफी छोटे हैं, जिसमें ज्यादा कूड़ा नहीं डाला जा सकता। वार्ड में तीन मशीनें हैं, लेकिन उनका प्रयोग करने के लिए कर्मचारी नहीं है। कई बार स्थायी समिति की बैठक में बोलने के बाद भी कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई है- वरयाम कौर, नेता विपक्ष।
साभार : हरिभूमि 21 मई 2015