इंदौर, पत्रिका। ‘जब तक पंचायत खुले में शौच से मुक्त नहीं हो जाती, तब तक मैं सरपंच की कुर्सी पर नहीं बैठूँगा। न ही जूते-चप्पल पहनूँगा।’ यह प्रण किया है देपालपुर की धरावरा पंचायत के सरपंच किशोर भूत ने। वे गाँव में ‘भूत अंकल’ के नाम से ही पहचाने जाते हैं और अभी पंचायत को ओडीएफ बनाने का जुनून उन पर सवार है। अब भी गाँव के 100 घरों में शौचालय नहीं हैं। आधे में काम चल रहा है। स्वच्छता संग्राम अभियान के तहत गाँवों में महिला हो या बच्चे, सभी पंचायत को खुले में शौच से मुक्त करवाने के लिए जुटे है। धरावरा में 700 परिवार हैं। एक माह पहले तक इनमें से 100 घरों में शौचालय नहीं थे।
बच्चा बना मिसाल
निर्विरोध चुने गए सरपंच किशोर भूत पंचायत में मीटिंग भी लेते हैं, लेकिन बैठते नहीं है। उनके इस अनोखे संकल्प के कारण गाँव के लगभग सभी घरों में शौचालय का काम शुरू हो गया है। गाँव का एक बच्चा राघव भी मिसाल बना हुआ है। वह निगरानी समिति का सदस्य है और सुबह 4 बजे रोज टीम के साथ घूमता है। सरपंच को आने में देर होने पर वह उनके घर पहुँच जाता है। गाँव में माहौल बदला-बदला सा है। कुछ लोगों के घर में शौचालय के लिए जगह नहीं होने से पाँच सार्वजनिक शौचालय बनाए हैं। जिन घरों में शौचालय का काम चल रहा है, उन्हें भी कहा है कि वे सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करें।
एक माह में पूरा करेंगे संकल्प
एक माह में पंचायत को ओडीएफ बनाकर दिखा देंगे। जब तक यह संकल्प पूरा नहीं हो जाता, मैं कुर्सी पर नहीं बैठूँगा। गाँव के लगभग सभी घरों में शौचालयों का निर्माण हो रहा है- किशोर भूत, सरपंच धरावरा।
साभार : राजस्थान पत्रिका 19 अक्टूबर 2015