निर्भय कुमार पाण्डेय
नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में कई वीवीआईपी संस्थान स्थित हैं। यहाँ राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, पीेएमओ, सुप्रीम कोर्ट सहित कई केन्द्रीय कार्यालय मौजूद हैं। इस लोकसभा का प्रतिनिधित्व देश के पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी कर चुके हैं। इसके अलावा भाजपा के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी यहाँ से परचम लहराया है। फिलहाल इस समय यहाँ का प्रतिनिधित्व भाजपा की तेजतर्रार प्रवक्ता व सुप्रीम कोर्ट की वकील मीनाक्षी लेखी कर रही हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय माकन को करारी शिकस्त दी थी। इस क्षेत्र के लोगों का मानना है शुरुआत में लेखी सक्रिय दिखाई दीं, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने लोगों से मिलना कम कर दिया। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि महिला होने के नाते महिलाओं पर हो रहे अपराध को रोकने के लिए उन्होंने ठोस पहल की। इलाके में बसे झुग्गी-बस्तियों में पेयजल की समस्या एक साल का वक्त बीत जाने के बाद भी आज जस की तस बनी हुई है।
पूर्व प्रत्याशियों ने काटी कन्नी
बीते लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी आशीष खेतान व कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन क्षेत्र से गायब हो गए हैं। जनता का कहना है कि चुनाव के बाद ये लोग क्षेत्र में नजर नहीं आए। खेतान से इस सम्बन्ध में बात करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन हर बार उनके पीए ने जवाब दिया कि खेतान इस वक्त बैठक में व्यस्त हैं। कुछ ऐसा ही जवाब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अजय माकन के पीेए ने भी दिया।
ट्रेनिंग राहत भरी
महिला सांसद होने के नाते मीनाक्षी लेखी का महिलाओं की सुरक्षा पर एप लॉन्च करना एक राहत भरा कदम था। लेकिन आज भी करोल बाग और अन्य भीड़भाड़ वाले इलाके में महिलाओं के साथ चेन स्नैचिंग जैसी वारदातें आम बात है। इसके अलावा कॉलेज की छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना भी एक अच्छा कदम रहा। सांसद महोदया को इस पर भी विचार करना चाहिए- रिचा गोस्वामी, टीचर।
दीवारों को नुकसान
नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालयों का काफी अभाव है। इस कारण लोगों को दीवारों पर टॉयलेट करते देखा जाना आम बात है। इससे ऐतिहासिक इमारतों की दीवार खराब हो रही है, फिर भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। भले ही देश के पीएम नरेन्द्र मोदी ने शौचालय बनाने की बात गत वर्ष 15 अगस्त को कही हो, लेकिन आज भी सार्वजनिक टॉयलेट कम ही हैं- मो. फकरुद्दीन।
मूलभूत सुविधाएँ नहीं
आरकेपुरम इलाके के पास बसे क्षेत्र में गर्मियाँ शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। झुग्गी-बस्तियों के होने की वजह से यहाँ सुविधाओं का अभाव दिखता है। यहाँ न तो शिक्षा की कोई व्यवस्था है और न ही कोई रोजगार परक ट्रेनिंग की व्यवस्था। यही कारण है कि इन बस्तियों में रहने वाले अधिकतर युवा नशे या फिर अपराधिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं- शुभम दहिया।
जाम एक बड़ी समस्या
करोल बाग में जाम की समस्या से लोगों को आए दिन दो-चार होना पड़ता है। खरीदारी करने के लिए जो लोग आते हैं, वह सड़कों पर अपने वाहन खड़े कर देते हैं। इससे शाम के वक्त इलाके में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता, जब स्थानीय लोगों और खरीदारों के बीच कहासुनी न हो। शाम के वक्त जाम हटवाने में पुलिस भी बेबस दिखती है- मुकेश अग्रवाल।
सभी के लिए किए कार्य
नई दिल्ली लोकसभा से दिल्ली की एकमात्र महिला सांसद लेखी का दावा है कि गत एक साल वह अपनी सांसद निधि का सारा पैसा क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए खर्च कर चुकी हैं, लेकिन लाल फीताशाही की वजह से कई महत्वपूर्ण योजनाएँ अधर में लटकी हुई हैं। उन्होने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए हिम्मत एप को लॉन्च करने से पहले उन्होंने रक्षा नामक एक एप लॉन्च किया था। बिजली बचत के लिए एनडीएमसी इलाके में हमने भारत सरकार द्वारा लाई गई स्कील से पहले ही एलईडी लाइटें लगाने पर काम शुरू कर दिया था। गत एक साल में भारी मात्रा में सार्वजनिक शौचालय बनाए गए हैं, ताकि झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों को सड़क किनारे शौच के लिए जाना न पड़े। हालाँकि सांसद मीनाक्षी आज भी मानती हैं कि शौचालयों पर और भी कदम उठाए जाने की जरूरत है।
साभार : हरिभूमि 21 मई 2015