अरविन्द कुमार
असम तथा झारखण्ड में अपने कार्यक्रम की शुरुआत के बाद ग्लोबल सैनिटेशन फण्ड ने बिहार के कुछ चयनित जिलों तथा प्रखण्डों के लिए कार्यान्वित एजेंसियों के चयन की एक चरणबद्ध विस्तृत प्रक्रिया शुरू की और पटना जिले के मनेर प्रखण्ड के लिए अदिथि संस्था का चयन किया गया। जुलाई, 2013 से अदिथि ने मनेर में परियोजना का आरम्भ किया। परियोजना टीम के चयन और उनके उन्मुखीकरण के बाद जमीनी काम अगस्त, 2013 से शुरू हुआ।
कुल बारह कार्यकर्ताओं तथा पाँच सदस्यीय टीम के साथ नियोजित गतिविधियों की शुरुआत के साथ जब 19 पंचायतों तथा 46 राजस्व गाँवों के इस प्रखण्ड की जमीनी वास्तविकताओं की पड़ताल की गई, तो पता चला कि एनबीए के बेसलाइन सर्वेक्षण अनुसार यहाँ केवल 24 प्रतिशत परिवार ही शौचालय युक्त थे। सामुदायिक स्तर पर बातचीत से यह भी पता चला कि इनमें से भी अच्छी तादाद के शौचालयों का अस्तित्व अब खत्म हो चुका है और ज्यादातर लोगों की प्राथमिकता में शौचालय दूर-दूर तक भी शामिल नहीं था। बहुत सारे लोगों ने तो स्पष्ट कहा कि यदि सरकारी सहायता मिलेगी, तभी वे शौचालय के बारे में सोचेंगे। जब पंचायत प्रतिनिधियों से बातचीत की गई, तो उन्होंने अपनी अलग समस्याएँ गिनाई।
सफाई और स्वच्छता के सन्देशों के लिए बच्चों से बेहतर दूत और कोई नहीं होता। यही वजह थी कि हमने स्कूल जागरूकता कार्यक्रम को अच्छी प्राथमिकता दी और हमारे कार्यकर्ताओं ने मग-बाल्टी तथा साबुन के साथ स्कूलों में जाकर हाथ धोने की अहमियत से बच्चों को पूरी तरह परिचित करा उन्हें साबुन से हाथ धोने की सही विधि का व्यावहारिक अभ्यास कराया। पिछले एक वर्ष में इस तरह से पचास स्कूलों में ऐसे कार्यक्रम सम्पन्न कर बच्चों को स्वच्छता दूत बनाने में हमने खासी सफलता हासिल की और इनमें से बड़ी संख्या में बच्चों का सफाई एवं स्वच्छता व्यवहारों में परिवर्तन सुनिश्चित हुआ।
ऐसी विपरीत परिस्थितियों में हमने सबसे ज्यादा प्राथमिकता स्वच्छता तथा पेयजल को लेकर समुदायों में जागरूकता प्रसार के साथ-साथ उनके व्यवहार परिवर्तन को दी। इस दिशा में उपयुक्त नारों तथा सन्देशों के प्रभाव से हम अवगत थे, इसलिए हमने सबसे पहले छोटे-छोटे आकर्षक, बोधगम्य, प्रेरक नारे और सन्देश तैयार किए। जिन्हें फ्लैक्स और ग्रामीण क्षेत्रों की दीवारों पर लगाकर जागरूकता का एक प्रमुख साधन बनाया गया। हमारे कार्यकर्ताओं ने टोलों के स्तर पर सामुदायिक बैठकों की शृंखला शुरू की। इन बैठकों में नारे लिखे इन फ्लैक्सों ने एक उपयुक्त माहौल के निर्माण में अहम भूमिका अदा की। हमारी सामुदायिक बैठकें जागरूकता प्रसार के लिए अत्यंत प्रभावी साधन सिद्ध हुईं। लेकिन हम सिर्फ इन बैठकों तक ही नहीं रुके और घर-घर घूमकर सम्पर्क का काम भी आरम्भ किया। ताकि पेयजल की शुद्धता सुनिश्चित करने तथा खुले में शौच की प्रथा को रोकने से सम्बद्ध विभिन्न व्यवहार परिवर्तनों की प्रक्रिया तेज हो सके। हमारी सुनियोजित तथा सुसंगठित गतिविधियों का नतीजा यह हुआ कि पिछले एक वर्ष में हमारे परियोजना काल के दौरान हमने कुल 185 सामुदायिक बैठकें आयोजित की और हमारे कार्यकर्ताओं ने 25,102 घरों तक स्वच्छता का सन्देश पहुँचाया। आज मनेर के हर टोले में और हर सड़क पर स्वच्छता तथा पेयजल की शुद्धता से सम्बद्ध अपने मौलिक, सुबोध तथा लय युक्त नारों के साथ हमारे द्वारा कराए गए कुल 260 दीवार पेंटिंग हमारी मुहिम की अनोखी पहचान बन चुके हैं। हमने उपर्युक्त सभी सन्देशों से सम्बन्धित नुक्कड़ नाटक की स्क्रिप्ट तैयार कर इन नाटकों को एक अनुभवी टीम के सहयोग से एक वर्ष में 39 प्रदर्शनों द्वारा मनेर के 39 टोलों में जागरूकता अभियान को गति दी। इन सबका सम्मिलित परिणाम यह हुआ है कि आज, हमारे अनुमान के मुताबिक, मनेर में लगभग पचास हजार लोग शौच के बाद और खाने से पहले आदतन साबुन से हाथ धोते हैं।
हमारी गतिविधियों का दूसरा आयाम पंचायत स्तरीय संस्थाओं तथा पंचायत प्रतिनिधियों में जागरूकता की जान फूँककर उन्हें इस अभियान का नेतृत्व सम्भालने के लिए तैयार करना था। अपनी गतिविधियों के आरम्भ से ही हमने जिला जल एवं स्वच्छता समिति, पटना के पदाधिकारियों से नियमित सम्पर्क बनाये रखा और इसके तत्कालीन सदस्य ई.अशोक कुमार सचिव तथा जिला समन्वयक, श्री नीरज कुमार ने हमारे काम में अपने पूरे सहयोग का आश्वासन देकर हमारा उत्साहवर्द्धन किया।
इसी सिलसिले में सितम्बर, 2013 के तीसरे सप्ताह में एक मुलाकात के दौरान जब श्री नीरज कुमार ने हमें यह बताया कि हर ग्राम पंचायत में अगले 2 अक्टूबर को होने वाली आम सभा में यदि बड़ी संख्या में शौचालय निर्माण का प्रस्ताव पारित न हुआ, तो फिर अगले साल मनेर के पंचायतों में मनरेगा निधि की कमी बनी रहेगी। फिर तो हमने इस काम को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए बाकी सारी गतिविधियाँ निलम्बित कर सभी मुखियों समेत सारे पंचायत प्रतिनिधियों से सम्पर्क स्थापित कर इस सम्बन्ध में उनके उन्मुखीकरण का एक अभियान छेड़ दिया। नतीजा यह हुआ कि इस आम सभा के पहले हमें मनेर के 19 में से 14 पंचायत सदस्यों का उन्मुखीकरण करने में सफलता हासिल हुई और इन आम सभाओं में हजारों शौचालयों के निर्माण को अगले साल की प्रस्तावित गतिविधियों में शामिल किया जा सका। इसी तरह हमने ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों के उन्मुखीकरण का काम हाथ में लेकर पिछले एक साल में सभी पंचायतों की इन समितियों का दो-दो बार उन्मुखीकरण कर उन्हें कागजों से उतार समुदायों के नेतृत्व हेतु एक सक्रिय तथा पूरी तरह जागरूक संस्था में तब्दील कर दिया।
सफाई और स्वच्छता के सन्देशों के लिए बच्चों से बेहतर दूत और कोई नहीं होता। यही वजह थी कि हमने स्कूल जागरूकता कार्यक्रम को अच्छी प्राथमिकता दी और हमारे कार्यकर्ताओं ने मग-बाल्टी तथा साबुन के साथ स्कूलों में जाकर हाथ धोने की अहमियत से बच्चों को पूरी तरह परिचित करा उन्हें साबुन से हाथ धोने की सही विधि का व्यावहारिक अभ्यास कराया। पिछले एक वर्ष में इस तरह से पचास स्कूलों में ऐसे कार्यक्रम सम्पन्न कर बच्चों को स्वच्छता दूत बनाने में हमने खासी सफलता हासिल की और इनमें से बड़ी संख्या में बच्चों का सफाई एवं स्वच्छता व्यवहारों में परिवर्तन सुनिश्चित हुआ।
समुदाय संचालित सम्पूर्ण स्वच्छता के तहत ट्रिगरिंग को एक प्रमुख साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। हमने मनेर में कुल 33 ट्रिगरिंग का आयोजन कर बड़ी संख्या में लोगों को शौचालय निर्माण के लिए प्रेरित तथा खुले में शौच की प्रथा से विमुख करने में कामयाबी हासिल की। जिसका परिणाम यह हुआ है कि इस दौरान पूरे मनेर में बिना किसी सरकारी सहायता के लगभग 500 शौचालय बने। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने खुले में शौच की आदत छोड़ घर के शौचालय का इस्तेमाल शुरू किया। आज मनेर के गाँवों में हमारे द्वारा गठित 33 निगरानी समितियाँ इस काम को गति प्रदान करने में लगी हैं।
हमारे प्रयासों का एक अनोखा प्रतिफल विगत 19 अगस्त, 2014 को सामने आया, जब हमने माधोपुर पंचायत के अंतर्गत एक दलित बस्ती, जयनगर (हरिजन टोला) को खुले में शौच से मुक्त बनाया और पूरे समुदाय के साथ इसका जश्न मनाया।
बिहार राज्य एवं पटना जिला जल एवं स्वच्छता समितियों के सहयोग से मनेर की सभी पंचायतों में निर्मल भारत अभियान के फण्ड की राशि पहुँच चुकी है। जिला जल एवं स्वच्छता समिति के वर्तमान सदस्य सचिव, इ. नित्यानन्द प्रसाद एवं जिला समन्वयक, श्री नीरज कुमार की व्यक्तिगत रुचि की वजह से सभी पंचायतें बहुत जल्द एनबीए फण्ड की प्रोत्साहन राशि विमुक्त करने वाली हैं। हमें आशा ही नहीं, पूरा विश्वास भी है कि इसके बाद उन्नीस पंचायतों को खुले में शौच से मुक्त करने का हमारा सपना जल्द-से-जल्द साकार होगा।