प्रेम विजय पाटिल
धार। महिलाओं के समूह ने खुले में शौचालय जाने के कारण आने वाली दिक्कतों पर चर्चा की और फिर ठान लिया कि वे घर-घर शौचालय बनाकर रहेंगी। मनावर विकासखंड के ग्राम पलासी में महिलाओं ने वह अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है जो कि स्वच्छता के लिहाज से एक मिसाल है। वजह यह है कि कुछ माह पहले तक इस गांव के 177 घरों में एक भी शौचालय नहीं था। महिलाओं को अपने पतियों से शौचालय निर्माण के लिए लड़ाई तक लड़ना पड़ी। यह सब करके उन्होंने अपनी जेब से अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा भी लगाया और हर घर में बेहतर शौचालय बनवा डाले। अब इस गांव में सभी ने खुले में शौच जाने से तौबा कर ली है।
आदिवासी अंचल में इस तरह के उदाहरण दुर्लभ ही देखने को मिलते हैं। वह भी उस गांव में जहां सारे 177 परिवार अनुसूचित जनजाति के हों। मनावर विकासखंड के ग्राम पलासी में महिला शक्ति ने यह सबकुछ करके दिखाया है। कुछ माह पहले ग्राम की मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह ने अपनी बैठक में शौचालय जाने के दौरान जंगल में आने वाली दिक्कतों की चर्चा की। बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। इसी कारण अपनी मर्यादा के लिए इन महिलाओं ने एकजुटता के साथ इस अभियान की शुरुआत की कि गांव में वे हर घर में शौचालय बनाकर ही मानेंगी।
पुरुषों से करनी पड़ी लड़ाई
इस संबंध में समूह की अध्यक्ष अनिता बाई मंडलोई ने बताया कि एक समय तो ऐसा आया कि हमें शौचालय निर्माण के लिए पुरुषों से लड़ाई लड़ना पड़ी। पति या परिवार के अन्य पुरुष सदस्य शौचालय बनवाने के लिए बात करने पर विरोध करते थे। लेकिन उन्हें समझाया गया। लड़ाई लड़ने का नतीजा यह रहा कि हमें हर घर में शौचालय बनाने के लिए मदद मिलने लगी। जिला पंचायत से हमें सहयोग मिला। हम एक विशेष कदम उठाने के लिए तैयार थे तो इस निर्माण कार्य में हमें हर तरह का सरकारी सहयोग भी मिला।
जिसके पास पैसा नहीं था उसे दिया उधार
अनिता बाई सहित गंगा बाई आदि महिलाओं ने इस अभियान को एक आंदोलन के रूप में ले लिया था। यही वजह थी कि 9 हजार 900 रुपए सरकार की ओर से मिल रहे थे तो इन महिलाओं ने शौचालय शहरी और स्थायी स्तर के बनाने के लिए अपनी-अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा भी इसमें लगाया। अनिता बाई, गंगा बाई आदि का कहना है कि कई-कई शौचालय में तो हमने 20-20 हजार रुपए खर्च किए हैं। यानी सरकार से मिले अनुदान से डबल।
ऋण दिया
दूसरी ओर अनिता बाई ने यह भी बताया कि जिन महिलाओं को शौचालय बनाने के लिए राशि की कमी पड़ रही थी उन्हें हमने समूह के माध्यम से लोन दिया और इस लोन से यह शौचालय बनाया गया। अब यह गांव ऐसा बन गया है जहां इक्का-दुक्का परिवार को छोड़कर सभी शौचालय घर पर ही बनाकर उसका उपयोग कर रहे हैं। ग्राम पंचायत कोसवाड़ा के अंतर्गत आने वाले इस गांव में वहां की महिला सरपंच ग्यारसीबाई का भी सहयोग मिला।
अब पानी के लिए हैं प्रयासरत
अनिता बाई ने कहा कि हम गांव में घर पर पानी उपलब्ध हो इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि समूह की हर महिला जागरूक है। शौचालय निर्माण का भूमिपूजन हो या उसके निर्माण की पूर्णता। ये मर्दानियां वहां पर पूरा समय देकर निर्माण कार्य करवाती हैं और पुरुषों को उसका उपयोग करने के लिए बाध्य भी करती हैं। पाइप लाइन डलने के बाद ये और भी आदर्श स्थिति में आ जाएंगी। इसीलिए महिलाएं पाइप लाइन के लिए अपनी लड़ाई लड़ने को तत्पर हुई हैं।