राजु कुमार
मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग पाठशाला स्वच्छता के सौ फीसदी लक्ष्य प्राप्ति के लिए 30 जून तक प्रदेश की सभी पाठशालाओं में शौचालय बना लेगा। जब बच्चे नए सत्र में पाठशाला जाएंगे, तो उन्हें शाला में उपयोग करने लायक शौचालय की सुविधा मिल जाएगी। मुख्यमन्त्री ने इस सम्बन्ध में विभाग की समीक्षा करते हुए पहले ही कह दिया है कि इस समय सीमा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
लगभग दो माह पहले इसकी कार्ययोजना बनाते समय देखा गया था कि लगभग 50,000 शौचालय निर्माण की जरूरत है। इसके लिए सर्व शिक्षा अभियान, स्वच्छता कोष, राज्य निधि के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के माध्यम से राशि खर्च की जा रही है। सभी के लिए शौचालय निर्माण की संख्या अलग-अलग निर्धारित है। प्रति सप्ताह 5,000 शौचालय निर्माण के लक्ष्य के साथ इस दिशा में स्कूल शिक्षा विभाग आगे बढ़ रहा है। इसमें जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और जिला एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों द्वारा अहम योगदान दिया जा रहा है।
मध्यप्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग पाठशाला स्वच्छता के सौ फीसदी लक्ष्य प्राप्ति के लिए 30 जून तक प्रदेश की सभी पाठशालाओं में शौचालय बना लेगा। जब बच्चे नए सत्र में पाठशाला जाएंगे, तो उन्हें शाला में उपयोग करने लायक शौचालय की सुविधा मिल जाएगी। मुख्यमन्त्री ने इस सम्बन्ध में विभाग की समीक्षा करते हुए पहले ही कह दिया है कि इस समय सीमा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती बताते हैं कि गर्मी के मौसम में निर्माण कार्य के लिए पानी की समस्या रहती है, पर उसके लिए स्थानीय व्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है। चाइल्ड फ्रेंडली मॉडल के लिए राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षित किया गया है। गुणवत्ता पर व्यापक जोर दिया जा रहा है। लक्ष्य प्राप्त करने वाले जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को राज्य स्तर पर सम्मानित भी किया जाएगा और विभाग उम्मीद कर रहा है कि लक्ष्य पूरा करने वाले सभी जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सम्मानित होंगे। शाला के शौचालय के रखरखाव और साफ-सफाई के लिए विभाग द्वारा अलग से जल्द ही दिशानिर्देश दिए जाएंगे। मध्यामिक शालाओं में शौचालय के साथ फंक्शनल इंसिनिरेटर भी बनाया जा रहा है जिससे कि शालाओं में बालिकाओं को माहवारी के समय परेशानी न हो।
कई जिलों में स्थानीय स्तर पर जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शौचालय निर्माण के साथ-साथ शाला को इस तरह से तैयार कर रहे हैं, कि जिससे बच्चों को लगे कि शाला उनके स्वागत को आतुर है। इस बार के अभियान से यह लग रहा है कि प्रदेश की सभी शालाओं में बच्चों को चालू हालात में शौचालय मिल जाएंगे, क्योंकि वर्तमान में कई जगहों पर न तो सही तरीके के शौचालय हैं और न ही उनका उपयोग बच्चे कर पाते हैं।