वरुण देवता का स्मरण हैं तालाब. तालाब कहीं भी हो, देश के एक कोने से दुसरे कोने तक की नदियों को ही पुजारा जाता हैं. आज जरूरत हैं श्लोकों की, लहरों की, मिटटी में फावड़ों के टकराने की खडखडाहट की, जरुरत है पानी के दबाव से कमजोर होने लगे पाल के बचाव की और कचरे से अटने लगे हलक तर करने वाले पानी की स्वच्छता की..इसी जरूरत को अपने जेहन में रखते हुए एक साथ सेकडो बच्चे पहुंचे जसदेसर तालाब और साफ़ किया उसे. इन मासूमो होसले को बढाने के लिए बाड़मेर जिला कलेक्टर भी इनके पास पहुंची.
बाड़मेर तालाब पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख जल स्त्रोतों में से एक है. ऐसे में इनकी सफाई और इनके जल की स्वच्छता की बेहद ज्यादा आवश्यकता है. इसी बात को आधार बनाते हुए राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार की रोज स्थानीय भीम विद्या मंदिर उच्चा प्राथमिकविद्यालय के सेकडो बच्च्चो ने अपने हाथों में बैनर थाम कर जल स्वछता का सन्देश दिया. रैली के बाद इन बच्चो ने स्थानीय जसदेशर तालाब पहुँच कर उस तालाब की सफाई की. इन मासूमो होसले को बढाने के लिए बाड़मेर जिला कलेक्टर डॉ वीणा प्रधान भी मौजूद रहीं. बच्चो द्वारा पिचले दिनों नवरात्रा और गणेश महोत्सव के दौरान शहरभर से यहाँ तालाबमें गिराई गईपूजा सामग्री, हवनकुंड, मिटटी के बर्तन और प्लास्टिक का कचरा तालाब से निकाल कर तालाब को साफ़ किया.
सीसीडीयू आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह ने बताया की सर्कार जहाँ पेयजल की गुणवत्ता को लेकर बेहदगंभीर हैं वहीँ मौजूदापेयजल स्त्रोतों में मौजूद पानी की सफाईऔर उसपानी को पेयजल लायक बनाने के लिए गंभीरता से प्रयासरत है. ऐसे में विद्यालय विद्यार्थियोद्वारा रैली निकलकर आम आवाम का ध्यान इस बात की और खीचने का प्रयास किया गया हैं की जो पानी मौजूद है उसकी स्वच्छता न केवल मानव स्वास्थ्यके लिए जरूरी है, वरन उसका उपयोग करने वाला हर आधार स्वच्छता के बिना विक्सित नहीं हो सकता है. जस्देशर तालाब की स्वच्छता अभियान के दौरान बच्चो का हौसला अफजाई करते हुए बाड़मेर जिला कलेक्टर डॉ वीणा प्रधान ने जहाँ की बच्चो के द्वारा तालाब की सफाई जैसे गंभीर मुददे पर कदम बढ़ाना वाकई कबीले तारीफ है.
वहीँ बचपन में ही स्वच्छता का पाठ अपने जीवन में उतारना इन बच्चो के बेहतर भविष्य की ओर इशारा करता है. इस अभियान के दौरान बच्चो को स्वच्छता का पाठ पढाते हुए स्वामी प्रतापपूरी ने कहा की जिस तरह एक इंसान स्वस्थ शारीर की अभिलाषा करता है, वैसे ही इंसान के लिए स्वच पानी का पीना बेहद जरूरी है.