क्योंकि सरकारी योजना में टॉयलेट बनने के बाद मिलती है राशि, उपलई के सरपंच ने 18 दिन में 90 टॉयलेट बनवा दिये
जावरा विकासखण्ड का अनुसूचित जाति बाहुल गाँव हुनखेड़ी के किसी भी घर में सुविधाघर नहीं था। ग्रैजुएट युवा सरपंच दिनेश नायमा (35) माँ लीलाबाई के बाद सरपंच बने। दिनेश ने गाँव की तस्वीर बदलना चाहा तो सवाल खड़ा हुआ पैसा कहाँ से आयेगा? सरकारी योजना में रुपये मिलते हैं, लेकिन सुविधाघर बनने के बाद।
रुपए खर्च करने की न लोगों की हैसियत थी न सरपंच के पास व्यवस्था। दिनेश की जिद थी हर घर में सुविधाघर हो। उन्होंने पत्नी सीमा के गहने एसबीआई में गिरवी रख दो लाख रुपये का लोन लिया और 18 दिन में 90 सुविधाघर बनवा दिये। हुनखेड़ी जिले के उन चुनिंदा चार गाँवों में शामिल हो चुका है, जिन्हें जिला पंचायत ने शत-प्रतिशत सुविधाघर निर्माण का सर्टिफिकेट दिया है।
दिनेश कहते हैं- लोगों के पास सुविधाघर बनाने के लिये पैसे नहीं थे। मैंने गोल्ड लोन के लिये पत्नी से चर्चा की तो उसने हाँ कह दिया। जेवर बैंक में जमा कराये, 2 मार्च को दो लाख का लोन मिल गया और सुविधाघर बनवा दिये।
20 मार्च को जिला पंचायत सीईओ को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने 24 घण्टे में सुविधाघर निर्माण की राशि जारी करवा दी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्र में घर में सुविधाघर बनाने पर 12 हजार का अनुदान मिलता है।
दैनिक भास्कर, 01 अप्रैल, 2016