लालकिले की प्राचीर से शौचालय का राष्ट्रव्यापी विमर्श बनेंगे गाँवों और विद्यालयों में शौचालय

सुलभ ब्यूरो

 

भारत में दशकों बाद एकदलिय पूर्ण बहुमत के साथ आई भारत सरकार के माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने देश के 68वें स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक लाल किले पर तिरंगा लहराया। जश्न-ए-आजादी की फिजाँ इस बार कुछ बदली हुई थी। एक ओर आजाद भारत में पैदा हुए देश के पहले प्रधानमन्त्री थे तो दूसरी ओर उनके सिर पर गाँधी टोपी के बदले पारम्परिक राजस्थानी साफा था। अपने आरम्भिक सम्बोधन में जब उन्होंने कहा कि ‘मैं आप के बीच प्रधानमन्त्री के रूप में नहीं, प्रधान सेवक के रूप में उपस्थित हूँ,’ तब  पूरा समारोह-स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।


अपनी सरकार के प्रथम संसदीय सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण में स्वच्छता-सम्बन्धी घोषणा की गई थी, ‘हम ऐसी अपमानजनक स्थिति को सहन नहीं करेंगे, जिसमें घरों में शौचालय न हों और  सार्वजनिक स्थान गन्दगी से भरे हों। देशभर में स्वास्थ्यकर परिस्थितियाँ (हाइजीन), कचरा प्रबन्धन और ‘स्वच्छ भारत मिशन’ चलाया जाएगा। स्वतन्त्रता दिवस पर राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए प्रधानमन्त्री ने कहा कि ‘हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। क्या कभी हमारे मन को पीड़ा हुई कि आज भी हमारी माताओं और बहनों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है? बेचारी गाँव की माँ-बहनें अन्धेरे का इन्तजार करती हैं, जब तक अन्धेरा नहीं आता है, वे शौच के लिए नहीं जा पाती हैं। उनके शरीर को कितनी पीड़ा होती होगी, कितनी बीमारियों की जड़े उसमें से शुरू होती होंगी? क्या हमारी माँ-बहनों की इज्जत के लिए हम कम से कम शौचालय का प्रबन्ध नहीं कर सकते हैं?’ उन्होंने कहा कि ‘किसी को लगेगा कि 15 अगस्त का इतना बड़ा महोत्सव बहुत बड़ी-बड़ी बातें करने का अवसर होता है। बड़ी बातों का महत्व है, घोषणाओं का भी महत्व है, लेकिन कभी-कभी घोषणाएँ एषणाएँ जगाती हैं और जब घोषणाएँ परिपूर्ण नहीं होती हैं, तब समाज निराशा की गर्त में डूब जाता है। इसलिए हम उन बातों के ही कहने के पक्षधर हैं, जिनको हम अपने देखते-देखते पूरा कर पाएँ। आपको लगता होगा कि लाल किले से सफाई की बात करना, ट्वॉयलेट की बात बताना, यह कैसा प्रधानमन्त्री है? मैं नहीं जानता हूँ कि मेरी कैसी आलोचना होगी, इसे कैसे लिया जाएगा। मैं गरीब परिवार से आया हूँ, मैंने गरीबी देखी है और गरीब को इज्जत मिले, इसकी शुरुआत यहीं से होती है। इसलिए ‘स्वच्छ भारत’ का एक अभियान इसी 2 अक्टूबर से मुझे आरम्भ करना है और चार साल के भीतर-भीतर हम इस काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। एक काम तो मैं आज ही शुरू करना चाहता हूँ और वह है-हिन्दुस्तान के सभी स्कूलों में टवॉयलेट हो, बच्चियाँ स्कूल छोड़कर भागेंगी नहीं। हमारे सांसद जो एम.पी, लैड फंड का उपयोग कर रहें हैं मैं उनसे आग्रह करता हूँ कि एक साल के लिए आपका धन स्कूलों में ट्वॉयलेट बनाने के लिए खर्च हो। सरकार भी अपने बजट से ट्वॉयलेट बनाने में खर्च करें। मैं देश के कॉरपोरेट सेक्टर्स का भी आह्वान करना चाहता हूँ कि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत आप जो खर्च कर रहे हैं, उसमें आप स्कूलों में टवॉयलेट बनाने को प्राथमिकता दीजिए।’

 

यह भारत के संविधान का सामर्थ्य है कि गरीब परिवार के एक बालक ने लाल किले की प्राचीर पर तिरंगे झण्डे के सामने सिर झुकाने का सौभाग्य प्राप्त किया।

 

अब तक चली आ रही लिखित भाषण की प्रचलित परम्परा को तोड़कर प्रधानमन्त्री ने लगभग 65 मिनट के अपने सम्बोधन में मुल्क की चाल और उसका चेहरा बदलने के साथ-साथ सियासत की दीवारों को तोड़कर राष्ट्र-निर्माण के लिए कई घोषणाएँ कीं, भविष्यत योजना की रूपरेखा खीचीं। उन्होंने कहा कि ‘आजादी के बाद देश आज जहाँ पहुँचा है, उसमें सभी प्रधानमन्त्रियों और राज्यों की सरकारों का भी योगदान है। मैं वर्तमान भारत को उस ऊँचाई पर ले जाने का प्रयास करनेवाली सभी पूर्व सरकारों को, सभी पूर्व प्रधानमन्त्रियों को, उनके सभी कामों को, जिनके कारण राष्ट्र-गौरव बढ़ा है, उन सबके प्रति आदर का भाव व्यक्त करना चाहता हूँ।’


ऋगवैदिक ऋचा सङ्गच्छध्वं की तर्ज पर उन्होंने कहा, ‘हम साथ चलें, मिलकर चलें, मिलकर सोचें, मिलकर संकल्प करें और मिलकर देश को आगे बढ़ाएँ। इस मूल मंत्र को लेकर सवा सौ करोड़ देशवासियों ने देश को आगे बढ़ाया है।’ उन्होंने कहा कि ‘एक रस हो सरकार-एक लक्ष्य, एक मन, एक दिशा, एक गति, एक मति-इस मुकाम पर हम देश को चलाने का संकल्प करें। हम सहमती के मजबूत धरातल पर आगे बढ़ना चाहते हैं। संसद के कार्यकाल को देश ने देखा होगा। सभी दलों को साथ लेकर, विपक्ष को जोड़कर, कंधे से कंधा मिलाकर चलने में हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है। राष्ट्र की एक शक्ति है। मैं उस शक्ति को जगाना चाहता हूँ। मैं उस शक्ति के माध्यम से राष्ट्र कल्याण की गति को तेज करना चाहता हूँ और मैं करके रहूँगा। मैं देशवासियों को यह विश्वास दिलाना चाहता हूँ। मैं यह 16 मई को नहीं कह सकता था, लेकिन आज दो-ढाई महीने के अनुभव के बाद मैं 15 अगस्त को तिरंगे झण्डे के साक्ष्य से कह रहा हूँ कि यह सम्भव है, यह होकर रहेगा।’


उन्होंने कहा कि ‘हमारे जीवन महापुरुषों ने आजादी दिलाई, क्या उनके सपनों का भारत बनाने के लिए हमारा कोई कर्तव्य है या नहीं है? हमारा भी कोई राष्ट्रीय चरित्र है या नहीं? इसपर गम्भीरता से सोचने का समय आ गया है। कोई मुझे बताए कि हम दिन-भर जो भी कर रहे हैं, शाम को हमने कभी अपने-आपसे पूछा कि मेरे इस काम के कारण मेरे देश के गरीब का भला हुआ या नहीं? क्या सवा सौ करोड़ देशवासियों का यह मंत्र नहीं होना चाहिए कि जीवन का हर कदम देशहित में होगा?


‘सदियों से किसी न किसी कारणवश हम साम्प्रदायिक तनाव से गुजर रहे हैं, देश विभाजन तक हम पहुँच गए। आजादी के बाद भी कभी जातिवाद का जहर, कभी सम्प्रदायवाद का जहर यह पापाचार कब तक चलेगा? किसका भला होता है इससे? जातिवाद का जहर हो, सम्प्रदायवाद का जहर हो, आतंकवाद का जहर हो, ऊँच-नीच का भाव हो यह देश को आगे बढ़ाने में रुकावट है।’


कन्या भ्रूण हत्या और देश में घटती हुई लड़कियो की आबादी पर उन्होंने कहा कि ‘आज हमारे देश में एक हजार लड़कों पर 940 बेटियाँ हैं। समाज में यह असन्तुलन कौन पैदा कर रहा है? ईश्वर तो नहीं कर रहा है। मैं उन डॉक्टरों से अनुरोध करना चाहता हूँ कि अपनी तिजोरी भरने के लिए किसी माँ के गर्भ में पल रही बेटी को मत मारिए। मैं माताओं, बहनों से कहता हूँ कि आप बेटे की आस में बेटियों की बलि मत चढ़ाइए। यह असमानता 21वीं सदी के मानव का मन कितना कलुषित, कलंकित, कितना दाग-भरा है, उसका प्रदर्शन कर रही है। हमें इससे मुक्ति लेनी होगी और यही तो आजादी के पर्व का हमारे लिए सन्देश है। उन्होंने कहा कि ‘अभी राष्ट्रमंडल खेल हुए हैं। हमारे 64 खिलाड़ी मेडल लेकर आए हैं। उनमें 29 बेटियाँ हैं। हम इसपर गर्व करें और उन बेटियों के लिए तालियाँ बजाएँ। भारत की आन-बान-शान में हमारी बेटियों का भी योगदान है, हम इसको स्वीकार करें और उन्हें भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ लेकर चलें तो सामाजिक जीवन में जो बुराइयाँ आई हैं, हम उन बुराइयों से मुक्ति पा सकते हैं।’


श्री मोदी ने कहा ‘देश को आगे ले जाने के लिए दो ही पटरियाँ हैं-सुशासन और विकास, गुड गवर्नेंस एंड डेवलपमेन्ट। इन्हीं को लेकर हम चलना चाहते हैं। अगर कोई प्राइवेट नौकरी करता है तो कहता है कि मैं जॉब करता हूँ, लेकिन जो सरकारी नौकरी करता है, वह कहता है कि मैं सर्विस करता हूँ। दोनों कमाते हैं, लेकिन एक के लिए जॉब है और एक के लिए सर्विस है। मैं सरकारी सेवा में लगे सभी भाईयों-बहनों से पूछता हूँ कि कहीं ‘सर्विस’ शब्द ने अपनी ताकत, अपनी पहचान खो तो नहीं दी है? हमें इस भाव को पुनर्जीवित करना है और एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में आगे ले जाना है।’


आज हमारा किसान आत्महत्या क्यों करता है? वह साहूकार से कर्ज लेता है, कर्ज दे नहीं सकता, मर जाता है। इस आजादी के पर्व पर मैं एक योजना को आगे बढ़ाने का संकल्प करने के लिए आपके पास आया हूँ-‘प्रधानमन्त्री जन धन योजना।’ इसके माध्यम से हम देश के गरीब से गरीब लोगों को बैंक अकाउंट की सुविधा से जोड़ना चाहते हैं। आज करोड़ों-करोड़ परिवार हैं, जिनके पास मोबाइल फोन तो है, लेकिन बैंक अकाउंट नहीं है। ‘प्रधानमन्त्री जन धन योजना’ के तहत जो अकाउंट खुलेगा, उसमें डेबिट-कार्ड दिया जाएगा। डेबिट-कार्ड के साथ हर गरीब परिवार को एक लाख रुपए का बीमा सुनिश्चित कर दिया जाएगा, ताकि अगर उसके जीवन में कोई संकट आया तो उसके परिवार-जनों को एक लाख रुपए का बीमा मिल सकता है।


‘यह देश नौजवानों का देश है। देश की 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा नौजवान देश है। क्या हमने कभी इसका फायदा उठाने के लिए सोचा है? आज दुनिया को हुनरमन्द कामगारों की जरूरत है। भारत को भी स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत है। कभी-कभार हम अच्छा ड्राइवर ढूँढते हैं, नहीं मिलता। अच्छा कुक चाहिए, नहीं मिलता। नौजवान बेरोजगार हैं, लेकिन हमें जैसा चाहिए, वैसा नौजवान नहीं मिलता। यदि देश के विकास को आगे बढ़ाना है तो ‘स्किल्ड डिवलपमेन्ट’ और ‘स्किल्ड इंडिया’ हमारा मिशन बने। हिन्दुस्तान के कोटि-कोटि नौजवान हुनर सीखें, इसके लिए पूरे देश में जाल होना चाहिए। वे दुनिया के किसी भी देश में जाएँ तो उनके हुनर की सराहना हो।’


प्रधानमन्त्री ने आगे कहा, ‘विश्व की आर्थिक व्यवस्थाएँ बदल चुकी हैं और इसलिए हम लोगों को भी उसी रूप में सोचना होगा। मैं लाल किले के प्राचीर से विश्व-भर में लोगों से कहना चाहता हूँ-आइए, हिन्दुस्तान में निर्माण कीजिए। दुनिया के किसी भी देश में जाकर बेचिए, लेकिन निर्माण यहाँ कीजिए। हमारे पास स्किल है, टैलेंट है, अनुशासन है और कुछ कर गुजरने का इरादा है। जैसे मैं विश्व से कहता हूँ-‘कम, मेक इन इंडिया’, उसी तरह देश के नौजवानों को कहता हूँ-हमारा सपना होना चाहिए कि दुनिया के हर कोने में ‘मेड इन इंडिया’ की बात पहुँचे। मेरा आग्रह है, नौजवानों से, विशेषकर छोटे-मोटे उद्योगकारों से, कि दो बातों से समझौता न करें-एक जीरो डिफेक्ट, दूसरा जीरो इफेक्ट। हम ऐसी मैन्युफैक्चरिंग करें, जिसमें तनिक भी खामी न हो, ताकि दुनिया के बाजार से वह वापस ना आए, हम ऐसी मैन्युफैक्चरिंग करें, जिसका पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव न हो।’


प्रधानमन्त्री ने कहा कि ‘हमारा सपना डिजिटल इंडिया है। जब मैं डिजिटल इंडिया कहता हूँ,तब ये  बड़े लोगों की बात नहीं है। यह गरीब के लिए है। हिन्दुस्तान के नागरिकों के पास बहुत बड़ी तादाद में मोबाइल कनेक्टिविटी है, हम मोबाइल गवर्नेंस की तरफ जा सकते हैं। मोबाइल से गरीब आदमी बैंक अकाउंट ऑपरेट करे। वह सरकार से अपनी चीजें माँग सके, अपनी अर्जी पेश करे। अपना सारा कारोबार मोबाइल गवर्नेंस के द्वारा कर सके। यह अगर करना है तो हमें एक डिजिटल इंडिया की ओर जाना होगा। हम आज बहुत बड़ी मात्रा में इलेक्ट्रानिक सामान मँगाते हैं। आपको हैरानी होगी कि पेट्रोलियम पदार्थों के बाद आयात में दूसरे नम्बर पर इलेक्ट्रानिक सामान है। एक जमाना था, जब कहा जाता था कि रेलवे देश को जोड़ती है। मैं कहता हूँ कि आज आईटी देश के जन-जन को जोड़ने की ताकत रखती है।’


पर्यटन-संस्कृति और देश में स्वच्छता-व्यवस्था को बढ़ावा देने हेतू श्री मोदी ने कहा,‘ हम टूरिज्म को को बढ़ावा देना चाहते हैं, लेकिन टूरिज्म को बढ़ावा देने में और एक राष्ट्रीय चरित्र के रूप में भी हमारे सामने सबसे बड़ी रुकावट है हमारे चारों तरफ दिखाई दे रही गन्दगी। क्या हमारा देश स्वच्छ नहीं हो सकता है? अगर सवा सौ करोड़ देशवासी तय कर लें कि मैं कभी गन्दगी नहीं फैलाऊंगा, तो दुनिया की कौन-सी ताकत है, जो हमारे शहर, गाँव को आकर गन्दा कर सके? क्या हम इतना-सा संकल्प नहीं कर सकते हैं? 2019 में महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती आ रही है। महात्मा गाँधी को सबसे प्रिय थी-सफाई, स्वच्छता। हम निश्चय करें कि सन 2019 में जब हम महात्मा गाँधी की 150वी जयंती मनाएँगे तो हमारा गाँव, हमारा शहर, हमारी गली, हमारा मोहल्ला, हमारे स्कूल, हमारे मंदिर, हमारे अस्पताल सभी क्षेत्रों में हम गन्दगी का नामोनिशान नहीं रहने देंगे। यह सरकार से अकेले नहीं होता है, जन-भागीदारी से होता है, इसलिए यह काम हम सबको मिलकर करना है।’


प्रधानमन्त्री ने आगे कहा, ‘भाइयो-बहनो! मैं एक नए विचार को लेकर आज आपके पास आया हूँ। हमारे देश में प्रधानमन्त्री के नाम पर कई योजनाएँ चल रही हैं, कई नेताओं के नाम पर ढेर सारी योजनाएँ चल रही हैं, लेकिन मैं आज सांसद के नाम पर एक योजना घोषित करता हूँ-‘सांसद-आदर्श ग्राम योजना।’ मैं सांसदो से आग्रह करता हूँ कि वे अपने इलाके में 3 हजार से 5 हजार के बीच का कोई भी गाँव पसंद कर लें और हर सांसद 2016 तक अपने इलाके में एक गाँव को आदर्श गाँव बनाएँ। देश बनाना है तो गाँव से शुरू करें; 2016 के बाद जब 2019 में चुनाव के लिए जाएँ, उसके पहले और दो गाँवों का चयन करें और 2019 के बाद हर सांसद 5 साल के कार्यकाल में कम से कम पाँच आदर्श गाँव अपने इलाके में बनाए। जो शहरी क्षेत्र के सांसद हैं, जो राज्य-सभा के एम.पी हैं, उनसे भी मेरा आग्रह है, वे भी एक गाँव पसन्द करें। हिन्दुस्तान के हर जिले में, अगर हम एक आदर्श गाँव बनाकर देते हैं तो सभी अगल-बगल के गाँवों को खुद उस दिशा में जाने का मन कर जाएगा। 11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती है। मैं 11 अक्टूबर को एक ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ का कम्प्लीट ब्ल्यू प्रिंट सामने रखूँगा। मैं राज्य सरकारों से भी आग्रह करता हूँ कि आप भी इस योजना के माध्यम से सभी विधायकों के लिए एक आदर्श ग्राम बनाने का संकल्प करिए।


‘हम आजादी की लड़ाई मिल-जुलकर लड़े थे, हम साथ-साथ थे। सत्ता के बिना, शासन के बिना, शस्त्र के बिना, साधनों के बिना भी इतनी बड़ी सल्तनत को हटाने का काम अगर हिन्दुस्तान की जनता कर सकती है तो हम क्या गरीबी को हटा नहीं सकते? आओ, हम संकल्प करें, हम गरीबी को परास्त करें, हम विजयश्री को प्राप्त करें। भारत से गरीबी का उन्मूलन हो, उन सपनों को लेकर हम चलें और पड़ोसी देशों के पास भी यही तो समस्या है! क्यों न हम सार्क देशों के सभी साथी दोस्त मिल करके गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने की योजना बनाएँ? एक बार देखें तो सही, मरने-मारने की दुनिया को छोड़ करके जीवित रहने का आनंद क्या होता है! आज 15 अगस्त को हम देश के लिए कुछ न कुछ करने का संकल्प ले करके चलेंगे। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ, अगर आप 12 घंटे काम करेंगे तो मैं 13 घंटे करुँगा। अगर आप 14 घंटे काम करेंगे तो मैं 15 घंटे करुँगा। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि इस देश की एक नियति है, विश्व-कल्याण की नियति। इस नियति को पूर्ण करने के लिए भारत का जन्म हुआ है। मैं देशवासियों को कहता हूँ, राष्ट्रीयाम्  जाग्रयाम वयम्, हम जागते रहें, सेना जाग रही है, हम भी जागते रहें और देश नए कदम की ओर आगे बढ़ता रहे, इसी एक संकल्प के साथ हमें आगे बढ़ना है। सभी मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए-भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द। वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्।

 

साभार : सुलभ इण्डिया अगस्त 2014

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