खुले में शौच से मुक्त हिरमथला

मोनिका जैन

सुलभ ग्राम, महावीर इन्कलेव, नई दिल्ली के प्रांगण में त्रिदिवसीय अन्तरराष्ट्रीय टॉयलेट फेस्टिवल के समापन पर 22 नवम्बर, 2014 को भारत सरकार के ‘ड्रिंकिंग वाटर एण्ड सेनिटेशन’ विभाग के दो वरिष्ठ पदाधिकारी माननीय श्रीमती विजय लक्ष्मी जोशी, आईएएस, सचिव श्री जी.बालासुब्रमण्यम, उप-सलाहकार (पी.एच.ई) पधारे।

प्रांगण में सुलभ के संस्थापक डॉ बिन्देश्वर पाठक एवं अन्यान्य वरीय कार्यकर्ताओं ने उनका हार्दिक अभिनन्दन स्वागत किया। इस अवसर पर माननीय अधिकारियों ने कहा कि हम सुलभ के सामाजिक कार्यों की चर्चा प्राय: आए दिन इलेकट्रॉनिक तथा प्रेस मीडिया पर देखते-पढ़ते रहते हैं। हम उसी से उत्कंठित होकर स्वयं इसके कार्य विस्तार का अवलोकन करने आए हैं। यहाँ आकर हमें अति प्रसन्नता मिली है और हमें दृढ़ विश्वास है कि स्वच्छता के क्षेत्र में प्रधानमन्त्री के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ में इस गैर-सरकारी संस्था के अद्वितीय कार्य संपादन से अद्भुत योगदान मिलेगा।

दोनों वरिष्ठ अतिथियों को आदरपूर्वक सुलभ प्रार्थना भवन में ले जाया गया, जहाँ उनके स्वागत के लिए अलवर और टोंक, राजस्थान से आई नई राजकुमारियाँ तथा वृन्दावन और बनारस की विधवाएं मौजूद थीं। सुलभ प्रार्थना से कार्यक्रम का प्रारम्भ हुआ। प्रार्थना की शब्दावली एवं गीतात्मकता से दोनों अतिशय विभोर हो उठे।

डॉ. पाठक ने संक्षिप्त रूप से अलवर और टोंक की पुनर्वासित महिला स्कैवेंजरों तथा वृंदावन और बनारस से आईं विधवाओं मेें बतलाया। यह सब सुलभ के सामाजिक सुधार के फलक के अन्तर्गत हैं।

श्रीमती जोशी ने कहा कि डॉ. पाठक का यह कार्य वास्तव में उल्लेखनीय है, जाति बन्धनों को तोड़ने का सबसे बड़ा हथियार है यह। तत्पश्चात् श्रीमती जोशी मानू घोष से बातचीत आरम्भ की, जो वृंदावन की सर्वाधिक वृद्ध विधवा महिलाओ में से एक हैं।

सुलभ परिसर के विभिन्न अनुभागों में ले जाते हुए, डॉ. पाठक ने उन्हें सुलभ तकनीक के शौचालय मॉडलों को दिखाया। वे लोग सुलभ परिसर स्थित सार्वजनिक शौचालय परिसर भी देखने गये, जिसकी सफाई सबको प्रभावित करती है। श्रीमती जोशी हैरान थीं कि वहाँ नाम-मात्र की भी दुर्गंध नहीं थी। जब उन्हें बाोगैस संयंत्र एवं गैस उत्सर्जित करने वाला पाइप दिखाया गया तो वह खुद को रोक मेण्टल-लैम्प जलाने से खुद को रोक नहीं सकीं। डॉ. पाठक ने उन्हें बताया कि किस प्रकार सर्दियों में गरीब व्यक्ति जलती हुई लकड़ियों या कोयलों को बर्तन में रखकर, उसके पास बैठकर आग ताप सकता है।

किन्तु अतिथियों को सर्वाधिक आकर्षित किया सुलभ स्वच्छता रथ ने, जिसने प्रधानमंत्री-द्वारा देश के प्रत्येक घर एवं झोपड़ियों में शौचालय निर्माण के आह्वान की परिकल्पना को आगे बढ़ाया है। एक गैर-सरकारी संगठन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सन्देश- ‘शौचालय निर्माण कराएं एवं राष्ट्र को प्रदूषण तथा खुले में शौच के कलंक से मुक्त करें’ को लेकर इतना सजग है कि ऑडियो एवं वीडियो-सेवाओं से सुसज्जित गाड़ी के जरिए देश के देहातों में जा-जाकर इस सन्देश को प्रसारित कर रहा है।

श्रीमती जोशी एवं श्री सुब्रह्मण्यम ने काफी करीब से शौचालय की डिजाइनों एवं सुलभ-तकनीक की कार्य-प्रणालियों का अवलोकन किया। उन्होंने गड्ढ़ों में निर्मित छिद्र देखा, जो गन्दे पानी को अवशोषित कर लेता है। डॉ. पाठक ने बताया कि इन गड्ढ़ों के भरने की अवधि शौचालय के प्रयोग करने पर है। यह अवधि एक डेढ़ वर्ष या उससे भी अधिक हो सकती है और एक बार जब इसे बन्द कर दिया जाता है तो यह पोषक तत्वों से युक्त अच्छे खाद का उत्पादन करता है, जिसके प्रयोग से भरपूर फसल उपज सकती है। जब श्रीमती जोशी ने रोगाणु-रहित एवं दुर्गंधहीन मानव-मल के शुष्क खण्ड को देखा तो वह हैरान रह गईं। सुलभ पब्लिक स्कूल में सैनिटरी नैपकिन बनाने की मशीन की कार्य-प्रणाली को देखकर श्रीमती जोशी को विशेष रूप से प्रसन्नता हुई।

मन्त्रालय अधिकारियों का हिरमथला भ्रमण

विगत 22 नवम्बर, 2014 को हिरमथला गाँव में चहल-पहल का माहौल था। आनेवाले मेहमानों के स्वागत के लिए सभी गाँववासी व्यस्त थे। जल एवं स्वच्छता मन्त्रालय, दिल्ली के उच्च अधिकारी हिरमथला गाँव में सुलभ द्वारा किए गए कार्य को देखने आ रहे थे। निर्धारित समय पर श्रीमती विजय लक्ष्मी, सचिव, श्री जी.बालसुब्रह्मण्यम, उप-सलाहकार (पी.एच.ई.), पेयजल एवं स्वच्छता-मन्त्रालय का गाँव में आया, जिसे देखकर गाँववाले अत्यंत उत्साहित थे। श्रीमति विजय लक्ष्मी गाँव में सफाई व्यवस्था को देखर काफी खुश थीं। उन्होंने घरों में जाकर शौचालयों का निरीक्षण किया एवं महिलाओं से बातचीत की। उनके द्वारा पूछे जाने पर ‘आप लोगों को पहले शौचालय बनवाने का ख्याल क्यों नहीं आया, परेशानियाँ तो आपलोग बहुत पहले से झेल रहे थे,’ श्रीमती शकुंतला ने बहुत भोलेपन से जवाब दिया, ‘मैडम जी, हम तो नींद में सोए हुए थे, सुलभ वालों ने आकर हमें जगाया, अब जाकर चैन की नींद सोती हूँ।’ गाँव में रहने वाले खुर्शीद जी के यहाँ सुलभ-संस्थापक डॉ. पाठक के द्वारा सुलभ के दो गड्ढे वाले शौचालय के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने दोनों गड्ढ़ों के निर्माण की प्रक्रिया एवं कार्य प्रणाली की जानकारी देते हुए सुलभ शौचालय के अन्य फायदों के बारे में बताया। मैडम विजय लक्ष्मी जी ने सुलभ-द्वारा किए जा रहे इस प्रयास की विशेष रूप से प्रशंसा की एवं डॉ. पाठक से आग्रह किया कि वे अपनी इन योजनाओं को मेवात-क्षेत्र के अन्य गाँवों में भी फैलाएं। उन्होंने कार्यक्रम में सम्मिलित ए.डी.सी. श्री प्रदीप गोदारा जी को निर्देश दिया कि वे सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के विषय में गाँव वासियों को विस्तृत जानकारी दें एवं इच्छा जताई कि इन विकास-प्रयासों में सुलभ की भी भागीदारी रहे।

उन्होंने गाँव के सरपंच मो. मम्मनदीन से गाँव में किए जा रहे विकास कार्यों एवं सुलभ के योगदान की विस्तृत जानकारी ली एवं सुलभ द्वारा प्रदान किए गए स्वच्छता पुरस्कार के लिए विशेष प्रसन्नता जताई और कहा कि यदि प्रत्येक गाँव एवं सरपंच इसी प्रकार विकास योजनाओं को अपने गाँव में लाएंगे तो मेवात के विकास को कोई नहीं रोक सकता। उनके साथ आए अधिकारी श्री बालसुब्रह्मण्यम ने गाँव में तरल एवं ठोस अपशिष्ट-प्रबन्धन पर कार्य करने का सुझाव दिया।

श्रीमती विजय लक्ष्मी जी ने हिरमथला में सुलभ संस्था द्वारा चलाए जा रहे व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र का भी निरीक्षण किया एवं वहाँ प्रशिक्षण प्राप्त कर रही लड़कियों एवं महिलाओं से बातचीत की।

सिलाई-कटाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही छात्राओं ने उन्हें बताया कि आज वे कक्षा में मशीन के कल-पुर्जों के बारे में अध्ययन कर रही हैं। सौन्दर्य प्रसाधन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही छात्राओं से उन्होंने पेडीक्योर की विधि के बारे में पूछा। कम्प्यूटर कोर्स कर रही छात्राओं से भी उन्होंने बातचीत की एवं सरपंच को बधाई दी कि उनका गाँव अब तरक्की की ओर है, पहले निर्मल ग्राम और अब आदर्श ग्राम का दर्जा प्राप्त कर चुका है। गाँव की महिलाओं ने अपना आभार एवं प्यार मैडम को फूलमाला एवं गुलदस्ता भेंट कर प्रकट किया।

दोनों ही अधिकरियों को हरियाणा के हिरमथला गाँव में, इतने कम समय में शौचालयों एवं उनकी संतोषजनक स्थितियों को देखकर विश्वास नहीं हो रहा था, जहाँ सुलभ ने आश्चर्यजनक कार्य किया है। इस गाँव का एक भी निवासी अब खुले में शौच नहीं जाता, क्योंकि सुलभ ने यहाँ के सभी घरों में शौचालय का निर्माण किया है। सुलभ ने वहाँ हस्तशिल्प की भी स्थापना की है। खाली वक्त में महिलाएं वहाँ सिलाई एवं कढ़ाई का काम सीखती हैं। यह गाँव अपने अतीत में गन्दगी और कचरे के कारण एक उदासीन रवैया प्रस्तुत करता था, अब वाकई एक खुशनुमा गाँव लगता है, जिसकी कुछ दीवारें हल्के रंगों से रंगी हुई हैैं। इस रूपांतरण को देखकर श्रीमती जोशी एवं उनके सहकर्मी प्रसन्न थे और उन्होंने डॉ. पाठक को उनके प्रयत्नों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम के अन्त में संस्थापक महोदय के साथ गाँव के पुरुषों ने स्वच्छता रथ की सैर की एवं गाँव का एक  चक्कर लगाया। गाँव के एक बुजुर्ग श्री मम्मनदीन खान ने स्वच्छता रथ के माध्यम से संस्थापक महोदय के प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।

साभार : सुलभ इण्डिया नवम्बर 2014

 
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