जनसत्ता संवाददाता
हरिद्वार, 29 सितम्बर। राष्ट्रीय हरित अभिकरण एनजीटी के स्थानीय कोर्ट कमिश्नर सारिक अब्बास जैदी ने कहा कि हरिद्वार में सभी तरह की पॉलीथिन पर पाबन्दी है। किसी को भी हरिद्वार में पॉलीथिन प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और अन्य विभाग गंगा में प्रदूषण दूर करने के मामले में एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं। अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं। उन्होंने कहा कि अब गंगा की धरातल पर सफाई करने का वक्त आ गया है। चर्चाएँ, गोष्ठियाँ और गंगा पर किताबें लिखने से गंगा साफ होने वाली नहीं है।
जैदी ने कहा कि गंगा की पवित्रता के लिए अब सभी को मिलकर काम करना होगा। भारत के समस्त नागरिकों को अपने अधिकारों को भुलाकर कर्तव्यों को निभाना होगा। वे प्रेस क्लब हरिद्वार में आयोजित संवाद कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इसके बाद जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस और व्यापार मण्डल, गंगा सभा और होटल एसोसिएशन के साथ आयोजित सीधा संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए एसए जैदी ने कहा कि गंगा को प्रदूषित होने से रोकने का आदेश न्यायालय का है, जो सभी को मानना होगा। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली के अनुपालन में किसी को मनमानी करने की छूट नहीं दी जाएगी। गंगा स्वच्छता के लिए अब तक आई सहायता और खर्च हुए धन और कार्यशून्यता पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझे और माँ गंगा केवल चर्चाओं तक सीमित न रह जाए। इसके लिए जस्टिस स्वतन्त्र कुमार के निर्णय को सख्ती से लागू करना होगा।
पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने गंगा को भारत की जीवनदायिनी और जागृत देवी बताते हुए कहा कि नगर पालिका के वायलाज का पालन हो जाए तो एनजीटी की आवश्यकता नहीं लेकिन गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए गंगा तट पर अवैध रूप से बसे बीस हजार से अधिक झुग्गी-झोपड़ी वालों को हटाना होगा।
सीधा संवाद में सिडकुल मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन की तरफ से सुझाव देते हुए हरेन्द्र गर्ग ने कहा कि हरिद्वार और माँ गंगा सम्पूर्ण विश्व की आस्था का केन्द्र है। यहाँ साठ फीसद श्रद्धालु अपनी आवश्यकता से आता है। हरिद्वार में पाँच लाख व्यक्ति उद्योगों से जुड़े हैं। राज्य के कुल राजस्व का 33 फीसद हरिद्वार से मिलता है। इसलिए प्रदूषण के नाम पर किसी उद्योग को बन्द कराने से पूर्व उसके विकल्प के विषय में विचार करना होगा।
गंगा सभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा गाँधीवादी ने कहा कि गंगा कोई सामान्य नदी न होकर हम सब की आस्था का केन्द्र है। और बादशाह अकबर की रसोई के लिए भी गंगाजल हरिद्वार से जाता था। प्रतिदिन 50 हजार से एक लाख श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं। जिनके लिए गंगा सभा स्वच्छता के प्रति जागरूक करती है। और आरती के समय शपथ भी दिलाती है।
पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने गंगा को भारत की जीवनदायिनी और जागृत देवी बताते हुए कहा कि नगर पालिका के वायलाज का पालन हो जाए तो एनजीटी की आवश्यकता नहीं लेकिन गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए गंगा तट पर अवैध रूप से बसे बीस हजार से अधिक झुग्गी-झोपड़ी वालों को हटाना होगा। होटल एसोसिएशन की तरफ से सुझाव देते हुए आशुतोष शर्मा ने कहा कि हरिद्वार धार्मिक स्थल है। होटलों से गंगा प्रदूषित न होकर उसमें गिरने वाले नालों से प्रदूषित हो रही है।
शहर व्यापार मंडल अध्यक्ष संजीव नैयर ने कहा कि गंगा प्रदूषण के लिए प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड और वे सरकारी कर्मचारी अधिकारी दोषी हैं जिन्होंने केन्द्र से धन मिलने के बाद उसका सदुपयोग नहीं किया। भारत स्काउट गाइड की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए वीरेन्द्र तिवारी एडवोकेट ने नगर निगम और पार्किंग को दोषी बताते हुए कहा कि गंगा स्वच्छता के लिए जन सहयोग आवश्यक है। सेवा समिति की ओर से जगत सिंह रावत ने कहा कि गंगा प्रदूषण के लिए सिंचाई विभाग की भूमि के अवैध कब्जेदार एवं पंतद्वीप पार्किंग के साथ गंगा में गिरने वाले नालों को जिम्मेदार ठहराया।
मुख्य नगर अधिकारी विप्रा त्रिवेदी ने गंगा और शहर को साफ रखने में नागरिकों की जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यदि नागरिक जागरूक होते तो एनजीटी की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। संवाद को संचालन अपर जिलाधिकारी जीवन सिंह नगन्याल, एसपी सिटी और उपजिलाधिकारी प्रत्यूष सिंह ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. पीएस चौहान और संचालन महामन्त्री श्रवण कुमार झा ने किया।
साभार : जनसत्ता 30 सितम्बर 2015