डॉ. रूपक राय चौधरी
गाँवों में महिलाओं के स्वास्थ्य और उनमें स्वच्छता की आदतों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को मुफ्त में सैनिटरी नैपकिन दिए जाने की योजना पर कार्य कर रही है। इन महिलाओं को सस्ती दर पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध नहीं होते, इसलिए ये मासिक धर्म की समयावधि में पुराने कपड़ों को प्रयोग करने पर विवश हैं। जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी और इसके परिणाम स्वरूप हुई अस्वच्छता भारतीयों में होनेवाले संक्रमण का एक बड़ा कारण है।
ऐसे समय में सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है। उनमें निजी क्षेत्र की सहभागिता भी शामिल है, ताकि यह निश्चित हो सके कि गरीबी-रेखा से नीचे रहने वाली किशोरियों तथा महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन मुफ्त में और अन्य को बेहद सस्ती दरों में उपलब्ध हो सके, सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गेनाईजेशन प्रयास कर रहा है ऐसी तकनीकें ढूढँने का, जिससे कम से कम दर पर इसका निर्माण किया जा सके। इसके लिए महिलाओं के समूहों को भी प्रेरित किया जा रहा है।
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग की सहायता से सुलभ स्कूल सेनिटेशन क्लब द्वारा एक परियोजना आरम्भ की गई है, जिसका उद्देश्य यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य परिस्थितियों में सुधार लाया जा सके और दिल्ली शहर के तीन मलिन बस्तियों में किशोरियों में स्वच्छता सम्बन्धी संक्रमण को कम किया जा सके। ये तीन स्लम हैं- संजय गाँधी कैंप, अनन्तराम डेयरी एवं महरम नगर। इस मासिक धर्म सम्बन्धी स्वच्छता प्रबन्धन प्रशिक्षण परियोजना का उद्देश्य यहाँ की किशोरियों में जागरूकता फैलाना एवं सस्ती दर पर सैनिटरी नैपकिन्स उपलब्ध करवाना है।
इन मलिन बस्तियों में मासिक धर्म सम्बन्धी स्वच्छ आदतों को बढ़ावा देने के हेतु 30 दिसम्बर, 2011 को चाणक्यपुरी के संजय गाँधी कैंप में सुलभ स्कूल सेनिटेशन क्लब द्वारा एक नैपकिन वेन्डिंग मशीन भी लगाईं गई। इस अवसर पर एन.डी.एम.सी. के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.एन.सिंह, जर्मन टेक्निकल को-ऑपरेशन की श्रीमती संचिता देव रॉय, संस्कृति स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती आभा सहगल के साथ-साथ सुलभ इंटरनेशनल के वरिष्ठ कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन किया डॉ. रूपक राय चौधरी एवं सुश्री समीक्षादास महापात्रा ने और संचालन किया क्लब के उपाध्यक्ष श्री अशोक कुमार ज्योति ने।
सुलभ के नियन्त्रक श्री गोविन्द रामचंद्र पटवर्धन द्वारा उपस्थित सभी मेहमानों का स्वागत किया गया। इस क्रम में उपर्युक्त विषय पर सुलभ द्वारा किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आज भी भारत में मासिक धर्म सम्बन्धी चिंताएँ बनी रहती हैं। यही कारण है कि स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी परियोजनाओं में मासिक धर्म सम्बन्धी विषय अवश्य रहता है।
एन.डी.एम.सी. के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.एन. सिंह के अनुसार, जब हम स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं के परिणामों की बात करते हैं तो हमारे कार्यकलापों और उपलब्ध जानकारी में भारी अन्तर होता है। प्राय: लड़कियों में मासिक धर्म सम्बन्धी जानकारी बेहद कम है। सुलभ द्वारा स्लम कॉलोनियों में सस्ती दर पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने का यह प्रयास निश्चित तौर पर सराहनीय है।
दिल्ली में जर्मनी-दूतावास की इकॉनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट की परियोजना पदाधिकारी श्रीमती गीतांजलि सूबेदार ने कहा कि दिल्ली की स्लम कॉलोनियों में इस प्रकार के अभियान की विशेष आवश्यकता है।
जर्मन टेक्निकल को-ऑपरेशन की परियोजना सलाहकार श्रीमती संचिता देव रॉय ने दिल्ली के संजय गाँधी स्लम में मासिक धर्म सम्बन्धी विषय को आपसी चर्चा का मुद्दा बनाने के लिए क्लब की प्रशंसा की।
दिल्ली के प्रतिष्ठित संस्कृति स्कूल की प्राचार्या श्रीमती आभा सहगल ने सुलभ स्कूल सैनिटेशन क्लब के सदस्यों को इस ऐतिहासिक अवसर पर उन्हें आमन्त्रित करने के लिए धन्यवाद दिया। हालाँकि संजय गाँधी कैंप में उनका स्कूल भी कार्य कर रहा है। फिर भी इस क्षेत्र में सस्ती दर पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध करवाने का सुलभ का यह प्रयास वास्तव में प्रशंसनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि नैपकिन वेन्डिंग मशीन के लगाने से स्लम क्षेत्र की किशोरियों में इस विषय में जागरूकता निश्चित तौर पर बढ़ेगी।
सुलभ के मुख्य नियन्त्रक श्री सन्तोष तिवारी ने वहाँ पधारे सभी मेहमानों को कार्यक्रम में उपस्थिति देने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही उन्होंने संजय गाँधी कैंप की किशोरियों की इस बात के लिए प्रशंसा की कि वे काफी उत्साह से इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर निजी स्वच्छता को महत्व दे रही हैं। उन्होंने कहा कि इन मशीनों के द्वारा वे स्वच्छ, सस्ता और विश्वसनीय सैनिटरी नैपकिन प्राप्त कर सकती हैं।
संजय गाँधी कैंप में रहने वाली एक लड़की सुश्री पूजा ने उपस्थित मेहमानों से अपना अनुभव बाँटते हुए कहा कि पहले हम लोग इस विषय पर बात करने में संकोच करते थे, किन्तु अब जबसे सुलभ स्कूल सेनिटेशन क्लब से जुड़ी हूँ, मैं ये कहते हुए गर्व महसूस करती हूँ कि मैंने स्वयं अपनी आदतों में परिवर्तन लाया है और इस विषय में अन्य लड़कियों एवं महिलाओं को जागरूक करती रहती हूँ। मैंने स्वयं भी मासिक धर्म सम्बन्धी स्वच्छता के विषय में काफी कुछ सीखा है। मैं यहाँ की लड़कियों और महिलाओं को यह भी बताती रहती हूँ कि उन्हें इस विषय में बात करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।
साभार : सुलभ इण्डिया फरवरी 2012