बल्लभगढ़ में स्वच्छता अभियान की पोल खुली

फरीदाबाद, 17 अप्रैल (जनसत्ता)। देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्वच्छता अभियान बल्लभगढ़ में पूरी तरह से असफल साबित हो रहा है। नगर निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही के चलते जगह-जगह गन्दगी के ढेर लगे हुए हैं, जिन पर आवारा पशु मुँह मारते रहते हैं। गन्दगी का आलम यह है कि सड़कों पर जगह-जगह गन्दा पानी भरा हुआ है, नालियाँ-नाले बन्द पड़े हैं। इसके चलते यहाँ मच्छरों की भरमार रहती है और लोग विभिन्न प्रकार की बीमीरियों से ग्रस्त हो रहे हैं। गन्दगी के चलते मलेरिया ने भी शहर में अपने पाँव पसारने शुरू कर दिए हैं।

 

अधिकारियों का कहना है कि कुछ दिन पहले हुई बरसात के चलते टूटी सड़कों पर पानी भर गया था, जिन पर मच्छर मुँह मारते देखे जा सकते हैं। वहीं नगर निगम द्वारा बनाए गए शौचालय पर भी अवैध कब्जों की भरमार होने लगी है और इन पर बदबू की इतनी भरमार है कि लोगों का आवागमन भी मुश्किल हो जाता है। नगर निगम के सुलभ शौचालय पर भी अवैध कब्जा हो गया वहीं राजा नाहर सिंह पार्क पर बने शौचालय की हालत बद से बदतर हो गई है। इतना ही नहीं नगर निगम कार्यालय के सामने बने शौचालय में भी गन्दगी की भरमार है। शहर के सिटी पार्क में संगीतमय फव्वारा केवल शोपीस बना हुआ है। इसी प्रकार तिगाँव रोड का फव्वारा आज तक नहीं बना है। तत्कालीन मुख्य संसदीय सचिव शारदा राल्लौर ने उसका उद्घाटन किया था परन्तु उसके बाद यह चला ही नहीं। आज पूरा शहर नरक बनकर रह गया है। ज्यादातर सफाई कर्मचारी अधिकारियों के घरों पर काम करते हैं, जबकि अपनी ड्यूटियों से नदारद रहते हैं, उनका कहना है कि ज्यादा से ज्यादा उनका बल्लभगढ़ से फरीदाबाद या फरीदाबाद से बल्लभगढ़ तबादला हो जाएगा। प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की दवा का छिड़काव नहीं किया गया है। कोई अधिकारी शहर की सुध लेने को तैयार नहीं है।

 

दस एकड़ में बनेगा कचरा संयंत्र : शहर में बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए नगर निगम निर्माण कचरा संयंत्र बनाने की तैयारी कर रहा है। इसे बनाने के लिए डीसी ने नगर निगम को 10 एकड़ की जगह निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। फरीदाबाद में अभी तक एक भी निर्माण कचरा संयंत्र तैयार नहीं किया गया है। यहाँ पर ग्रेटर फरीदाबाद का विकास तेजी के साथ हो रहा है। इसके अलावा सिटी के अन्तर्गत एनआइटी, ओल्ड फरीदाबाद व बल्लभगढ़ में हर रोज कहीं न कहीं निर्माण कार्य होते रहते हैं। इनमें से निकलने वाला कंस्ट्रक्शन वेस्ट खाली जगहों पर डाल दिया जाता है। इससे प्रदूषण का ग्राफ बढ़ जाता है। पिछले दिनों सेन्ट्रल प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड के सर्वे में भी दिल्ली के बाद फरीदाबाद को ज्यादा प्रदूषित शहर में शामिल किया गया है।

 

प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक पीके. दास ने बताया कि फरीदाबाद में बड़ी-बड़ी इमारतों का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा पुराने मकानों को तोड़कर नए मकान बनाए जा रहे हैं। ऐसे में पुराने मकान के वेस्ट को ट्रीट करने के लिए प्लांट नहीं है। ये वेस्ट हवा में घुलकर प्रदूषण के स्तर को ज्यादा बढ़ा देते हैं। प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड के नियमों को देखा जाए तो किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर अगर वेस्ट निकल रहा है तो उसे निर्माण कचरा संयंत्र में ले जाकर ट्रीट करना चाहिए। लेकिन शहर में कंस्ट्रक्शन वेस्ट को बेचा जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जहाँ भी कंस्ट्रक्शन हो रहा होता है, वहाँ से कंस्ट्रक्शन वेस्ट को उठाने का कार्य ट्रैक्टर-ट्रॉली और डम्पर से किया जाता है। कहीं भराव करने या फर्श डालने के लिए इसे बेच दिया जाता है। लेकिन कई बार ग्राहक न मिलने पर सारा वेस्ट खाली प्लॉटों में डाल दिया जाता है, जो पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं है।

 

साभार : जनसत्ता 18 अप्रैल 2015  

 

फोटो साभार : द हिन्दू           

 
Post By: iwpsuperadmin
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