बायो मेडिकल कचरा निस्तारण का मुकम्मल इंतजाम नहीं

नोएडा। बायो मेडिकल कचरे का ध्यान आते ही अस्पतालों से निकलने वाले दूषित रुई, पट्टी, ब्लड बैग, सीरिंज, आइवी सेट, ट्यूब, काँच और प्लास्टिक की बोतल जेहन में उभर आती है। इन कचरों के निस्तारण की दावेदारी तो खूब की जाती है, लेकिन मुकम्मल इंतजाम नहीं है। निजी अस्पताल, गाँवों में क्लीनिक और झोलाछाप चिकित्सकों के बायो मेडिकल कचरे के निस्तारण की व्यवस्था ही नहीं है। शहर के जिला अस्पताल में भी बायो मेडिकल कचरे को ठीक से निस्तारित करने की बजाय उसे सामान्य कूड़े की तरह ही आग में झोंक दिया जाता है। कूड़े के ढेर की तरह इधर-उधर फैला बायो मेडिकल कचरा कई मायने में खतरनाक है। जिले में पंजीकृत करीब दो सौ चिकित्सीय संस्थानों का प्रतिमाह करीब 19,000 किलोग्राम जैव अपशिष्ट पदार्थ का निस्तारण दो कम्पनियाँ मिलकर करती हैैं।

 

बायो मेडिकल कचरे को सामान्य कूड़े या घरों से निकलने वाले कूड़े से अलग तरह से इकट्ठा किया जाता है। मेडिकल कचरे को तीन तरह से अलग किया जाता है। शरीर के अंग, खून, दूषित रुई व पट्टी को पीले बॉक्स में डाला जाता है। ब्लड बैग, सिरिंज, आइवी सेट, ट्यूब को लाल रंग के बॉक्स व काँच की बोतल व स्लाइड के लिए नीले रंग का बॉक्स होता है। इस कूड़े के लिए निर्धारित व्यवस्था होने के बावजूद कर्मचारी गम्भीरता नहीं बरतते हैं।

 

स्वास्थ्य विभाग से जिले में लगभग छह सौ निजी क्लीनिक, अस्पताल, नर्सिंगहोम, जाँच लैब आदि पंजीकृत हैं। इनमें मल्टी स्पेशियलिटी अस्पतालों की संख्या सात, बड़े अस्पतालों की संख्या 27, नर्सिंग होम 56 व 488 छोटे-बड़े क्लीनिक हैं। प्रदूषण विभाग के पास बायो मेडिकल कचरा निस्तारण के लिए पंजीकृत चिकित्सीय संस्थानों की संख्या करीब दो सौ है। ऐसे में लगभग चार सौ संस्थानों का बायो कचरा कहाँ जा रहा है। इसकी पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं है।

 

जैव चिकित्सा अपशिष्ट अधिनियम के तहत उन्हीं चिकित्सीय संस्थानों का बायो कचरे के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है, जिनके पास प्रतिमाह एक हजार मरीज आते हों। लेकिन इन मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। प्रदूषण विभाग भी मानता है कि बायो मेडिकल कचरा निस्तारण के लिए पंजीकरण करवाने वाले व नहीं कराने वाले चिकित्सीय संस्थाओं की संख्या में काफी अन्तर है। हो सकता है कि कुछ नर्सिंग होम या क्लीनिक प्रतिमाह एक हजार मरीजों का इलाज करने के बावजूद पंजीकृत न हों।

 

निजी अस्पतालों से बायो मेडिकल कचरे उठाने के लिए दो एजेंसी लगी हैं। ये बायो मेडिकल कचरे को प्राइवेट अस्पतालों से उठाने के बाद विभाग को रिपोर्ट करते हैं। एक एजेंसी मेरठ और दूसरी दिल्ली ले जाकर बायो मेडिकल कचरे का निस्तारण करती हैं। यदि कहीं भी बायो मेडिकल कचरे का गलत तरीके से निस्तारण की सूचना मिलेगी तो विभाग उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।

 

ये हो सकती हैं बीमारियाँ :

 

1. हेपेटाइटिस बी

2. संक्रमण से फैलने वाली बीमारियाँ

3. टिटनेस

4. संक्रमित सुई के चुभने से हो सकता है एड्स

5. कूड़े के पानी में या धूप में पड़े रहने से फैलता है संक्रमण

6. जलने पर निकलने वाले धुएँ से हो सकती हैं कई बीमारियाँ

 

साभार : नेशनल दुनिया 30 सितम्बर 2015

Post By: iwpsuperadmin
×