जोधपुर। पंचायत चुनाव लड़ने वाले हर प्रत्याशी के घर में शौचालय होना और उसका इस्तेमाल अनिवार्य है। इस बाध्यता के मद्देनजर कई उम्मीदवार अपने घरों में शौचालय बनवाकर चुनावी मैदान में उतर तो गए, लेकिन अब सरकार इनके सत्यापन की तैयारी कर रही है। ऐसे में घोषणापत्र में गलत जानकारी देने वालों की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। सूत्रों ने बताया कि शौचालय निर्माण किए बिना ही कुछ प्रत्याशियों ने निर्माण को लेकर अण्डरटेकिंग दे दी कि उनके घर में शौचालय है। ऐसे में शौचालय घोषणा का वास्तविक रूप से शौचालय होने एवं उसके उपयोग की सही स्थिति की जानकारी के लिए गाँव के सचिव/पटवारी की ओर से जाँच की जाएगी।
उम्मीदवारों के शौचालय निर्माण सम्बन्धी घोषणा के सत्यापन की तैयारी
पंचायतराज चुनाव में उम्मीदवारों के यहाँ शौचालय अनिवार्य होने के बाद इनका निर्माण बढ़ गया है जबकि पहले अधिकारियों की पुरजोर कोशिशों के बावजूद शौचालयों का निर्माण नहीं कराया जा रहा था। शौचालय अनिवार्यता के चलते जिले में एक महीने में 14-15 हजार शौचालयों का निर्माण हो गया व कुछ का चला रहा है। हालांकि जिला परिषद व पंचायत समिति सदस्यों के लिए आवेदन करने वाले अधिकांश प्रत्याशियों के घरों में तो शौचालय बने हुए हैं, लेकिन सरपंच व वार्डपंच पद के ज्यादातर उम्मीदवारों ने इसी चुनाव में शौचालय बनवाए हैं।
ग्रामीण विकास एवं पेयजल राज विभाग ने शौचालय के सत्यापन के निर्देश दिए हैं। जल्दी ही इस बारे में कार्यवाही की जाएगी। अरुण कुमार पुरोहित, सीईओ, जिला परिषद
यह मिलती है राशि
निर्मल भारत अभियान के तहत बीपीएल, विधवा, निशक्तजन, लघु व सीमांत किसान, एससी एवं एसटी वर्ग के लोगों को शौचालय निर्माण करने के लिए सरकार की ओर से 12 हजार रुपए का अनुदान दिया जाता है। इसमें निर्मल भारत अभियान के तहत 5 हजार 600 रुपए तथा मनरेगा के तहत 6 हजार 400 रुपए दिए जाते हैं। फिर भी लोगों ने शौचालय निर्माण में ज्यादा रुचि नहीं ली। पंचायत चुनाव में अनिवार्यता होने के बाद खुद की जेब से पैसे खर्चा कर रातोंरात शौचालय निर्माण भी हुए हैं। आचार संहिता के पहले आवेदन करने वाले इन श्रेणी के लोगों को तो शौचालय निर्माण के पैसे मिल जाएंगे। बाद में आवेदन करने वालों को निराशा की हाथ लगेगी।
साभार : राजस्थान पत्रिका 26 जनवरी 2015