डेली न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। उत्तर प्रदेश को ग्रीन-क्लीन बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है लोगों की सहभागिता। सरकार भले ही कितने भी संसाधन मुहैया करा दे, लेकिन जब तक आम सहभागिता और जनजागरूकता नहीं होगी, इस लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा। प्रदेश को ग्रीन-क्लीन बनाने के लिए 75 जिलों में सिटी सेनिटेशन प्लान बनाया जाना जाए और लगातार उसकी मॉनीटरिंग भी की जाए। यह बात डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. निशीथ राय ने कही। वह बुधवार को लखनऊ विश्वविद्यालय (लविवि) के राष्ट्रीय सेवा योजना एवं समाज कार्य विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।
लखनऊ विश्वविद्यालय के टैगोर पुस्तकालय में आयोजित सेमिनार में कुलपति डॉ. निशीथ राय ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव सही मायने में उत्तर प्रदेश को ग्रीन-क्लीन बनाने के प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में 10 पारिजात के पौधे भी लगावाए। जो कि किसी भी विश्वविद्यालय में नहीं है। इसलिए सभी को पर्यावरण के प्रति जागरूक होना होगा।
उन्होंने कहा कि बिना सिटी सेनिटेशन प्लान के ग्रीन-क्लीन योजना का लक्ष्य पाना आसान नहीं है। इसलिए जो भी प्लान बने, उसकी संस्तुति के आधार पर समय सीमा भी निर्धारित हो। डॉ. निशीथ राय ने कहा कि केन्द्र सरकार तो अभी अपनी प्राथमिकताएं ही नहीं तय कर पाई है कि उसे क्या करना है। लेकिन प्रदेश सरकार पर्यावरण के प्रति काफी जगह है। इसलिए उसका लाभ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्रीन-क्लीन का लक्ष्य पूरा करना सिर्फ सरकार के बस की बात नहीं, इसमें सभी को शामिल होना होगा।
कुलपति डॉ. निशीथ राय ने कहा कि सरकार के पास सीमित संसाधन हैं, इसलिए एक-दो जिलों में ग्रीन डिस्ट्रिक-क्लीन डिस्ट्रिक की तर्ज पर काम किया जाए। जो भी कार्यक्रम हों, उनकी सीरीज बनाई जाए। उन्होंने कहा कि आज भी बहुत से गाँव हैं जहाँ शौचालय नहीं हैं, महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए गाँव में शौचालय जरूर हों और लोग उनका उपयोग भी करें।
कुलपति, डॉ. निशीथ राय ने स्वच्छता के परिपेक्ष्य में आधारभूत संरचना को विकसित करने तथा जिला स्वच्छता योजना बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें सूचना सम्प्रेषण एवं प्रसार के माध्यम से एक आन्दोलन चलाना होगा जिससे जन सहभागिता द्वारा हम स्वच्छता एवं पेयजल की समस्या को दूर कर सकें। उन्होंने स्वच्छता को बढ़ाने में व्यवसायिक संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी पर विशेष बल दिया। सेमिनार में विज्ञान फाउण्डेशन, वाटर एड, सेव द चिल्ड्रेन, प्लान इण्डिया, आक्सफेम एक्शनएड इण्डिया, आई केयर, कासा तथा लविवि, पंचायती राज्य निदेशालय के प्रतिनिधियों एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
बदलनी होगी रूढ़ीवादी सोच : कमाल अख्तर
सेमिनार में बतौर विशिष्ट अतिथि पंचायती राज विभाग के राज्यमन्त्री कमाल अख्तर ने कहा कि जल एवं स्वच्छता पर जब तक हम मिलकर काम नहीं करेंगे, मिशन कामयाब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में सबसे बड़ी खराबी खुले में शौच करना है। घर में शौचालय होने पर भी खुले में जाते हैं। ये रूढ़ीवादी सोच बदलनी होगी। तभी स्वच्छ यूपी हरा-भरा यूपी का लक्ष्य मिल सकेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. यूएन द्विवेदी ने कहा कि बाहरी स्वच्छता के साथ-साथ हमें अपनी आंतरिक स्वच्छता पर भी ध्यान देना होगा। खुले में शौच न जाएं, इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा और उनकी सोच भी बदलनी होगी। उन्हें बताना होगा कि इससे कृषि भी काफी हद तक प्रभावित होती है।
यूपी में 1 करोड़ 90 लाख शौचालय का लक्ष्य
वाटर एड के रीजनल मैनेजर केजे राजीव ने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य प्रदेश में एक करोड़ 90 लाख शौचालय बनाना है। लेकिन सिर्फ सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती जब तक लविवि, एनजीओ सहित तमाम संगठन और आमजन इससे नहीं जुड़ेंगे। यदि सरकार इसे बनवा रही है तो इसकी मॉनीटरिंग गाँव के प्रधान आदि करें। प्रोग्राम क्वार्डिनेटर डॉ. राकेश द्विवेदी ने कहा कि केवल स्वच्छ शौचालय उपलब्ध कराना मकसद नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है। इसलिए दो दिवसीय सेमिनार में जो भी निष्कर्ष निकल कर आए हैं, उन्हें संस्तुति कर विभागीय माध्यम से राज्य और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इस अवसर पर जल एवं स्वच्छता मंच की भी स्थापना की गई।
साभार : डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट 26 मार्च 2015